दुआ देने वाले को मिली अपनी अलग पहचान

धनबाद।  रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अब दुआ देने वालों पर भी नजरें इनायत की है। भारतीय रेल के 163 साल के इतिहास में पहली बार किन्नरों के लिए आरक्षण फॉर्म में अलग से कॉलम बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) के अनुरोध पर रेलवे को यह निर्देश दिया था। रेलवे के आरक्षण फॉर्म में पुरुष व महिला के लिए अलग-अलग कॉलम बने हैं। अगर किन्नर किसी ट्रेन की आरक्षित श्रेणी में सफर करते हैं तो उन्हें इन्हीं दो में एक कॉलम में टिक करना पड़ता है। दशकों से चली आ रही इस व्यवस्था में अब बदलाव किया गया है। नए नियम के मुताबिक अब अगर किन्नर आरक्षण फॉर्म भरेंगे तो उन्हें थर्ड जेंडर के कॉलम का विकल्प मिलेगा। महिला किन्नर को टी/एफ और पुरुष किन्नर को टी/एम लिखना होगा। टिकट में भी दर्ज रहेगा नई व्यवस्था के तहत सेंटर फॉर्म रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) के सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जाएगा। इसके तहत कंप्यूटर में थर्ड जेंडर का विकल्प शामिल होगा। आरक्षण फॉर्म भरकर टिकट खरीदने पर उसमें थर्ड जेंडर दर्ज रहेगा। हालांकि किराए में कोई रियायत नहीं मिलेगी। छोटे बच्चों के लिए भी मिलेगा विकल्प आरक्षण फॉर्म में पांच वर्ष से कम उम्र के लिए बच्चों के नाम, उम्र व लिंग के लिए भी कॉलम रहता है। नए फॉर्म में छोटे बच्चों के लिए भी थर्ड जेंडर कॉलम मौजूद रहेगा। राष्ट्रीयता के लिए भी नया कॉलम नए आरक्षण फॉर्म में राष्ट्रीयता के लिए भी अलग से कॉलम होगा। बुजुर्ग यात्रियों के लिए रियायती आरक्षण के मद्देनजर नया कॉलम शामिल किया गया है। रेलवे ने रियायत को लेकर पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इसके हकदार केवल भारतीय होंगे। विदेशों में रहने वाले बुजुर्ग को यह सुविधा नहीं मिलेगी।

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