मि‍स्‍त्री का टाटा बोर्ड पर पलटवार

नई दि‍ल्‍ली। सायरस मि‍स्‍त्री और टाटा संस के बीच चल रहा वि‍वाद खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों के बीच चले रहे वि‍वाद में मंगलवार को सायरस मि‍स्‍त्री ने इस बात को ‘गलत और दुर्भाग्‍यपूर्ण’ बताया कि‍ टाटा-डोकोमो मामले में उन्‍होंने जो कदम उठाए उसकी जानकारी रतन टाटा को नहीं थी। मि‍स्‍त्री ने जोर देते हुए हुए कहा कि‍ डोकोमो मामले को टाटा के कल्‍चर और वैल्‍यू के हि‍साब से हैंडल नहीं कि‍या गया है, यह बात पूरी तरह से आधारहीन है।
मि‍स्‍त्री के ऑफि‍स से जारी हुआ बयान…
– मि‍स्‍त्री के ऑफि‍स से जारी बयान में कहा गया कि‍ टाटा-डोकोमो डील पर लि‍ए सभी फैसले टाटा संस बोर्ड के अप्रूवल के बाद लि‍ए गए हैं।
– उन्‍होंने कहा कि‍ इस मामले पर सभी लोगों ने मि‍लकर फैसले कि‍ए थे।
– डोकोमो मामला मि‍स्‍त्री की नि‍गरानी के तहत हुआ है और इसे टाटा के कल्‍चर और वैल्‍यू के हि‍साब से नहीं है, यह आधारहीन है।
– बयान में कहा गया कि‍ रतन टाटा और ट्रस्‍ट्रीज ने कानूनी वि‍वाद में लि‍ए फैसले को मंजूरी दी थी।
– उन्‍होंने यह कहा कि‍ टाटा संस बोर्ड में कई बाद डोकोमो की स्‍थि‍ति‍ पर फैसले कि‍ए गए हैं।
– मि‍स्‍त्री ने हमेशा ही टाटा को कहा है कि‍ उन्‍हें कानून के भीतर सभी प्रति‍बद्धाताओं का सम्‍मान करना चाहि‍ए।
क्या है मामला
– 2010 में जापानी कंपनी डोकोमो ने टाटा टेलीकॉम कंपनी में हिस्‍सेदारी खरीदी थी लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ग्राहक बेस तेजी से नहीं बढ़ने के कारण 2014 में हटने का फैसला किया।
– उसने टाटा से खरीदार ढूढ़ने के लिए कहा लेकिन टाटा के ऐसा करने में नाकाम रहने के बाद इसने ही डोकोमो के शेयर खरीदने का प्रस्‍ताव दिया लेकिन रिजर्व बैंक ने इसके लिए अनुमति नहीं दी।
– अंतरराष्ट्रीय अदालत ने टाटा को आदेश दिया कि वे डोकोमो को क्षतिपूर्ति के रूप में 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करे, क्योंकि टाटा ने ‘लक्ष्य पूरे नहीं होने’ के आधार पर संयुक्त उपक्रम को खत्म कर दिया था।

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