“कड़कनाथ मुर्गा”, नाम भले ही सुनने में अटपटा हो, लेकिन मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में पाई जाने वाली मुर्गे की इस प्रजाति ने क्रिकेटर यूसुफ पठान को भी अपना मुरीद बना दिया.
क्रिकेटर यूसुफ पठान मंगलवार शाम को मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ पहुंचे. यहां उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र में काफी वक्त बिताया. इस दौरान क्रिकेटर पठान ने कड़कनाथ मुर्गे के पालन से जुड़ी हर जानकारी हासिल की.
बताया जा रहा है कि यूसुफ पठान का स्थानीय निवासी वीरेंद्र सिंह सिसौदिया से परिचय था. उन्होंने ही इस क्रिकेटर को कड़कनाथ मुर्गे के बारे में जानकारी दी थी.
काला खून, काली हड्डियां, काला मांस एवं काले ही पंख कड़कनाथ मुर्गे की खासियत है. यह पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल आलीराजपुर, झाबुआ जिले में ही पाया जाता है. स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालमासी भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मांस काला होता है.
कड़कनाथ का मांस लजीज और ताकतवर माना जाता है. सर्दियों के दिनों में इसका सेवन काफी लाभकारी माना जाता है. जिसके चलते कड़कनाथ की सर्दियों में डिमांड बढ़ जाती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ आईएस तोमर ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति का रंग काला और मांस लजीज होता है. इसके साथ-साथ इसका मांस सेहत के लिए भी उपयोगी माना जाता है.
दूसरी प्रजाति के मुर्गा-मुर्गियों के मांस में फैट और वसा की ज्यादा उपलब्धता होती है, लेकिन कड़कनाथ मुर्गे में न तो फैट होता है और न वसा बल्कि इसके मांस में आयरन और प्रोटीन की अधिकता होती हैं.
यही कारण है कि आयरन की अधिकता के कारण ही इस मुर्गे का सब कुछ गहरा सांवला या काला हो जाता है. इसी के चलते डॉक्टर भी इसे काफी गुणकारी बताते हैं.
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