कहा जाता है कि सपनों की एक खास बात यह है कि सपने में व्यक्ति मरता नहीं है। सपने में इंसान को तो कई दैवीय शक्ति भी मिल जाती हैं। वैसे सपनों के मनोविज्ञान के अनुसार सपने में यदि दैवीय शक्ति मिलती हैं तो ऐसा सपना भविष्य के लिए शुभ होता है।
सपनों की तह में जाएं तो भारतीय दर्शनशास्त्र कहता है कि सपने भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हैं। जो हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहते हैं। जब व्यक्ति नींद में होता है तो सूक्ष्म आकार होकर इंसान की आत्मा अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करती है।
मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है। ननिहाल में भरत ने एक स्वप्न देखा था जिसका परिणाम सामने आया।
त्रिजटा ने भी लंका के विध्वंस होने का स्वप्न देखा था। गौतम बुद्ध के जन्म से कुछ दिन पहले उनकी माता रानी माया ने स्वप्न में एक सूर्य सा चमकीला, ६ दांतों वाला सफेद हाथी देखा था, जिसका अर्थ राज्य के मनीषियों ने एक उच्च कोटि के जगत प्रसिद्ध राजकुमार के जन्म का सूचक बताया, जो सत्य हुआ। बाद में इसी राजकुमार ने बौद्ध धर्म की नींव रखी।
वैसे सुषुप्ति अवस्था में देखे गये स्वप्न सुबह तक याद नहीं रहते। यह आवश्यक नहीं कि स्वप्न में देखा गया सब कुछ अर्थपूर्ण हो। चिकित्सा शास्त्रियों के अनुसार जो व्यक्ति अनावश्यक इच्छाओं, चंचल भावनाओं, उच्च आकांक्षाओं और भूत-भविष्य की चिंता से अपने को मुक्त रखते हैं, वही गहरी निद्रा ले पाते हैं। गहरी नींद वाले लोगों का स्वास्थ्य अमूमन बेहतर रहता है।
महर्षि वेदव्यास ब्रह्मसूत्र के जरिए कहते हैं मस्तिष्क में पिछले जन्मों का ज्ञान सुषुप्त अवस्था में रहता है। शुद्ध आचरण वाले धार्मिक और शांत चित्त व्यक्ति के सपने, दैविक संदेशवाहक होने के कारण, सत्य होते हैं। स्वप्न भावी जीवन यात्रा से जुड़े शुभ और अशुभ प्रसंग विपत्ति, बीमारी और मृत्यु की पूर्व सूचना देते हैं।