विधानसभा चुनाव कार्यक्रम अभी फाइनल नहीं परन्तु सत्ता में काबिज होने की होड़ तेज हो गई है। प्रमुख दलों के नेता चुनावी रथों पर सवार होकर सियासी जमीन की तलाश में जुटे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार में बने रहने के लिए समाजवादी विकास रथ पर सवार हो ‘विकास से विजय की ओर यात्रा पर निकलें । वहीं भाजपा पांच नवंबर को सहारनपुर से परिर्वतन यात्राओं की शुरुआत करेगी। यात्राओं की सियासत में अगुआ रही कांग्रेस की राहुल संदेश यात्राओं का दूसरा चरण बुधवार को शुरू हो चुका है, जो दस नवंबर तक जारी रहेगा।
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सपा : अंतर्कलह में शक्ति प्रदर्शन भी
वर्ष 2012 में सत्तासीन होने से पूर्व क्रांति रथ पर सवार हो प्रदेश को मथने वाले अखिलेश यादव इस बार सत्ता में बने रहने की चाहत में रथ यात्रा करेंगे। अखिलेश का भव्य समाजवादी विकास रथ लाल रंग में रंगा हुआ है। इस पर सपा सरकार की उपलब्धियों की झलक दिखाने के साथ मुलायम सिंह यादव व अखिलेश के आदमकद चित्र बने हैं। काम बोलता है, प्रचार वीडियो यात्रा में एलईडी स्क्रीन पर दिखाया जाएगा। इस हाईटेक रथ में सीएम का मिनी दफ्तर भी बनाया गया है। आंतरिक कलह में फंसी सपा में मुख्यमंत्री की रथ यात्रा शक्ति प्रदर्शन का जरिया भी होगी।
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भाजपा: 14 वर्ष का सियासी वनवास खत्म की चाहत
सूबे की सत्ता से 14 वर्ष की दूरी को खत्म करने की चाहत में जुटी भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से चुनावी जंग में उतरी है। चार परिर्वतन यात्राओं के जरिये पांच नवंबर से पूरा प्रदेश मथने की तैयारी है। शुरुआत सहारनपुर से होगी और झांसी से दूसरी यात्रा छह नवंबर को, सोनभद्र से आठ नवंबर को तीसरी और चौथी यात्रा नौ नवंबर को बलिया से आरंभ होगी। परिवर्तन यात्रा रथों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के चित्र नजर आएंगे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह व कलराज मिश्र, उमा भारती के अलावा केशव प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं की भी इन यात्राओं में अहम भूमिका रखेगी।
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कांग्रेस: 27 वर्ष की बदहाली मिटाने की आस
प्रदेश में सत्ता से 27 वर्ष दूर रहने वाली कांग्रेस ’27 साल, यूपी बेहाल का नारा देकर यात्राओं पर निकली है। गत अगस्त से अब तक चार यात्राओं को निकाल चुकी कांग्रेस की यात्राएं अभी थमी नहीं। खुद राहुल गांधी भी करीब 3500 किलोमीटर की किसान यात्रा में 26 खाट सभाएं व 26 रोड शो और 600 छोटी सभा कर चुके है। अब गांव-गांव में राहुल संदेश यात्राएं जारी हैं और 11 नवंबर से दलितों में पैठ बढ़ाने को भी यात्राएं निकालने की तैयारी है।
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बसपा : जातिगत समीकरण बनाने की जुगत
वोट बैंक पुख्ता करने की खातिर जहां अन्य दल यात्राओं का सहारा ले रहे हैं वहीं बहुजन समाज पार्टी जातिगत वोट पुख्ता करने में जुटी है। बसपा का मेन फोकस ब्राह्मण और मुस्लिमों पर बना है। राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा व नसीमुद्दीन सिद्दीकी कमान संभाले है। मिश्रा ने ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत पूर्वांचल से की वहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी पश्चिम उप्र में मुस्लिमों को साधने में जुटे हैं। सिद्दीकी के साथ में उनके पुत्र अफजल को लगाया गया है।
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