2016 में सरकार और विपक्ष ने खूब सियासी दांव चले। विपक्ष ने खराब कानून-व्यवस्था के मसले पर समाजवादी सरकार की घेरेबंदी में कोई कोर नहीं छोड़ी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों का वर्ष होने की वजह से 2016 में सरकार और विपक्ष ने खूब सियासी दांव चले। विपक्ष ने खराब कानून-व्यवस्था के मसले पर समाजवादी सरकार की घेरेबंदी में कोई कोर नहीं छोड़ी।
इसके बाद रही सही कसर मथुरा के जवाहर बाग कांड ने पूरी कर दी। जहां पी एसपी मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष संतोष यादव को अपनी जान गंवानी पड़ी, वहीं 25 से अधिक हमलावर भी मारे गये। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार संभालने के साथ ही सर्वाधिक हमले इसी मोर्चे पर झेले। इसी कारण से उन्होंने पुलिस के आधुनिकीकरण और संसाधनों को लेकर खूब सक्रियता दिखाई। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि वर्षों से जंग लगे पुलिस महकमे में आमूल-चूल परिवर्तन जैसी कवायद हुई। पुलिस विभाग ने पाया भी बहुत कुछ लेकिन उससे भी बड़ी सच्चाई यह कि महकमे ने अपना इकबाल खो दिया।
यूपी-100 बना गेम चेंजर
खटारा जीप, अंग्रेजों के जमाने के जर्जर असलहे और 24 घंटे की अनवरत ड्यूटी करने वाली पुलिस हमेशा आशंकाओं और सवालों से ही घिरी रही है। बीती 19 नवंबर को लोकभवन में जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी-100 आपातकालीन सेवा को हरी झंडी दिखाई तब पुलिस महकमे में परिवर्तन की एक नई बुनियाद पड़ी।
यकीनन, समाजवादी सरकार के पिछले चार वर्षों के सापेक्ष इस वर्ष उम्मीदों को उड़ान मिली। जिस पुलिस के मौके पर पहुंचने को लेकर ही शिकायतों का सिलसिला कभी खत्म न हो, उसी पुलिस के लिए घटना के 15 से 20 मिनट के भीतर मौके पर पहुंचने की गारंटी है यूपी-100। इसे गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि अभी तकनीकी खामियों के चलते दिक्कतें खत्म नहीं हुई हैं लेकिन सरकार का दावा है कि जनवरी, 2017 के पहले हफ्ते में सभी जिलों में यह परियोजना लागू करने के बाद कोई शिकायत नहीं रह जाएगी।
सरकार ने पुलिस को जवाबदेह बनाने के साथ ही उनकी बुनियादी दिक्कतों को भी दूर करने पर ध्यान दिया। भर्ती और प्रोन्नति के साथ पुलिस बल की आवासीय समस्या का समाधान किया गया। करीब पांच हजार दारोगा, 38 हजार से अधिक आरक्षी की भर्ती की गयी। इंस्पेक्टर के पद पर 3357, दारोगा के पद पर 7867 और मुख्य आरक्षी के 28395 पदों पर प्रोन्नति की गयी। लिपिक संवर्ग में भी ढाई हजार पदों पर प्रोन्नति हुई। पीपीएस के 124 पद बढ़ाए गए।
पहले चरण में 25 जिलों में दो हजार आवासीय शाखाओं का शुभारंभ किया गया। 78 थानों के प्रशासनिक भवन, 14 महिला महिला थाना और 28 चौकियों के भवन निर्मित हुए। थाने में आने वाले फरियादियों के लिए 293 आगंतुक कक्ष, पुलिसकर्मियों के लिए 509 हास्टल और 230 महिला बैरकों का निर्माण हुआ। नवीन कार्य भी शुरू किये गये। पुलिस मुख्यालय के लिए सिग्नेचर बिल्डिंग, 12 महानगरों में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, थानों में सीसीटीवी कैमरे, सभी परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर विधि विज्ञान प्रयोगशाला, 55 अग्निशमन केन्द्रों का निर्माण, 8000 नये वाहनों के साथ ही बहुत सी योजनाओं का शुभारंभ किया। एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट, माडल बाल मित्र थाना समेत कई नये कार्य हुए।
लहूलुहान होती रही खाकी
कहीं पर भी खाकी के इकबाल से ही कानून-व्यवस्था चलती है लेकिन उत्तर प्रदेश में गुंडे, माफिया और उत्तेजित भीड़ ने हमेशा खाकी पर हमला बोला है। इस वर्ष की शुरुआत में बदायूं के गड़ौली गांव में तेज आवाज में बज रहे डीजे को बंद कराने पहुंचे सिपाहियों पर फावड़ा और चाकू से हमला कर दिया गया। बुरी तरह घायल दोनों सिपाही काफी देर तक तड़पते रहे। यह सिर्फ एक घटना है। समाजवादी पार्टी के चार वर्ष नौ माह के कार्यकाल में हर 32वें घंटे पुलिस पर हमले होते रहे हैं। सिपाही से लेकर एएसपी तक की हत्याएं होती रहीं। प्रतापगढ़ में सीओ जियाउल हक की हत्या हुई तभी सरकार को सख्त होना चाहिए था।
इससे पहले सख्ती तो तभी हो जानी चाहिए थी जब सरकार बनने के साथ ही एक धार्मिक कार्यक्रम में जुटी भीड़ ने इटावा जिले में पुलिस पर हमला बोल दिया। निसंदेह हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन सियासी मजबूरियों ने सरकार के हाथ बांधे रखे। फिर तो सिलसिला पूरे उत्तर प्रदेश में चला और इटावा आये दिन इस तरह की घटनाओं का गवाह बनता रहा। प्रतापगढ़ में कई सिपाही और थानेदार मारे गये। लुटेरों ने थाने के गेट पर हमलाकर संतरी की हत्या की गुंडों ने प्रतापगढ़ कोतवाली के से तबादला किये गये इंस्पेक्टर अनिल कुमार को मार डाला। बरेली में पशु तस्करों ने दारोगा मनोज मिश्र की हत्या कर खाकी को लहूलुहान कर दिया। खाकी पहनने वालों के आश्रितों की चीख से पूरा महकमा चीत्कार उठा। बार-बार हो रही घटनाओं के बावजूद जिस तरह की सख्ती की उम्मीद थी नहीं हुई।
वर्ष 2016 की शुरुआत में डीजीपी जावीद अहमद ने कार्यभार संभाला तो यह भरोसा हुआ कि वह खाकी का इकबाल बुलंद करेंगे। उन्होंने पहल भी की लेकिन कोई कारगर नतीजा सामने नहीं आया। मथुरा के जवाहर बाग में लंबे समय से जमीन कब्जा करके बैठे रामवृक्ष नामक एक आतताई और उसके गुर्गों ने पूरे सरकार को चुनौती दे दी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि रामवृक्ष सरकार के संरक्षण में कब्जा किये हैं लेकिन उसे बाहर नहीं किया जा सका। जिस दिन रामवृक्ष को बाहर किये जाने की पहल हुई उसी दिन रामवृक्ष और उसके गुंडों ने एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष संतोष यादव को मार गिराया।
सकुशल पंचायत चुनाव संपन्न कराया
प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा मानते हैं कि कानून-व्यवस्था, अपराध-नियंत्रण तथा सांप्रदायिक सद्भाव के मोर्चे पर कई बार चुनौतीपूर्ण परिस्थिति उत्पन्न हुई लेकिन प्रदेश के पुलिस बल ने दृढ़ इच्छाशक्ति से स्थिति पर काबू पाया। सकुशल पंचायत चुनाव संपन्न कराया। पुलिस बल को सुसज्जित करने एवं आधुनिक बनाने के लिए अनेक परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की गयी है। भर्ती और प्रोन्नति का रिकार्ड बना है।
पुलिस में बहुत बदलाव हुआ
पुलिस महानिदेशक, जावीद अहमद ने बताया कि हमारी हमेशा कोशिश रही कि पीडि़त की शिकायत सुनी जाए और उसके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। पुलिस का जनता से मित्रवत व्यवहार हो। पुलिस में बहुत बदलाव हुआ है। उनके 10 दिन काम के बाद आराम देने की भी प्रक्रिया शुरू की गयी है। पर, अभी भी पुलिस महकमे में सुधार की जरूरत है।