ये 3 सीख लीजिए कर्ण से , न करें कभी ऐसी गलतियां!

कर्ण की वास्तविक मां कुंती थी। कर्ण का जन्म कुंती का पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे भरोसेमंद मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा।

  • वह सूर्य पुत्र था। कर्ण का लालन- पालन महाराज धृतराष्ट्र के सारथी अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने किया था। कर्ण की छवि द्रोपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण छबि धूमिल हुई थी। लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि अपनी छबि को खराब न होने दें।
  • कर्ण, जो कि स्वयं यह नहीं जानता था कि वह किस वंश से है, ने अपने गुरु से क्षमा मांगी और कहा कि उसके स्थान पर यदि कोई और शिष्य भी होता तो वो भी यही करता। हर व्यक्ति को उसके वंश, पूर्वजों और गोत्र का पता होना चाहिए।
  • आधुनिक युग में भले ही यह चलन कम होता जा रहा है। लेकिन यह हमारे संस्कारों का अभिन्न अंग है। कर्ण को उसके गुरु परशुराम और पृथ्वी माता से श्राप मिला था। कोशिश करें कि किसी का भी दिल न दुखाएं। यदि ऐसा करते हैं तो हानियां उठानी पड़ सकती हैं।

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