रहमानी ने कहा: मुसलीम देशो का पिछलग्गू नहीं है भारत के मुस्लमान

जुलकर नैन, चतरा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना सैयद वली रहमानी का कहना है कि भारतीय मुसलमान किसी बाहरी मुस्लिम देशों का पिछलग्गू नहीं है। कोई जरूरी नहीं कि तीन तलाक को लेकर जो कानून पाकिस्तान या दूसरे मुस्लिम देशों में है, वही कानून ङ्क्षहदुस्तान में हो। तीन तलाक पर प्रतिबंध शरीयत के खिलाफ है। जिस वक्त पाकिस्तान में तीन तलाक को प्रतिबंधित किया गया था, उस वक्त से आज तक उसका विरोध हो रहा है और होता रहेगा। केंद्र सरकार मुसलमानों पर जबरन समान नागरिक संहिता थोपने का प्रयास कर रही है।
मौलाना रहमानी स्थानीय मदरसा रशीदुल उलूम के दो दिवसीय जलसा-ए-दस्तारबंदी में शिरकत करने आए हुए हैं। बुधवार को दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि शरीयत में किसी भी प्रकार का बदलाव स्वीकार नहीं होगा। तीन तलाक, तीन ही तलाक माना जाएगा। उन्होंने कहा कि तीन तलाक बहुत बड़ा मसला नहीं है। मीडिया ने प्रोपगेंडा फैलाकर इसे बड़े मसले के रूप में पेश कर दिया है।
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े को उठाकर देख लें, मुस्लिम समाज में तलाक का रेसियो बहुत ही कम है। जिस प्रकार से शादी-ब्याह सामाजिक आवश्यकता है। उसी प्रकार से तलाक भी सामाजिक जरूरत है। यदि पति और पत्नी एक-दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते हैं, तो क्या वैसी परिस्थिति में तलाक के अलावा कोई दूसरा विकल्प है?
उन्होंने कहा कि देश के भीतर हर किसी को अपने अंदाज में जीने की आजादी है। कोई व्यक्ति अपना मूल धर्म त्याग कर दूसरा धर्म ग्रहण करता है, इसमें हर्ज क्या है? हां! यदि कोई जबरन धर्मांतरण कराता है, तो यह गलत है और इसका विरोध होना चाहिए। कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का काम शरीयत का तहफ्फुज और समाजिक कुरीतियों को दूर करना है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है।

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