अब रिटायर्ड सिविल अधिकारियों का गढ़ बना सूचना आयोग …

नई दिल्ली। सूचना के अधिकार कानून के अंतिम अपीलीय प्राधिकरण के रूप में काम करने वाले सूचना आयोग अब रिटायर्ड सिविल अधिकारियों का गढ़ बन गया है। हाल ही में देशभर में हुए एक अध्ययन में सामने आया कि करीब 92 प्रतिशत सूचना आयोगों की अध्यक्षता से सिविल सेवाओं से रिटायर हुए अधिकारी कर रहे हैं।

 

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25 में से 16 सूचना आयोगों के अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस

 

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव की ओर से आरटीआई के कामकाज पर हुई एक व्यापक रिसर्च में ये आंकडें सामने आए। इस रिसर्च में खुलासा हुआ कि केंद्रीय सूचना आयोग सहित 25 सूचना आयोगों में से 16 आयोगों की अध्यक्षता सेवानिवृत अधिकारी कर रहे हैं। ये पदों की कुल संख्या का 64 प्रतिशत है। इनमें ज्यादातर सूचना आयुक्त रिटायर्ड सिविल कर्मचारी हैं। इस अध्ययन के अनुसार 44.3 प्रतिशत सूचना आयुक्त रिटायर्ड सिविल कर्मचारी हैं।

 

सूचना आयोग में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से कम

 

इस अध्ययन में ये भी सामने आया कि सरकार पुरुष ब्यूरोकेट्स को महिलाओं से ज्यादा विश्वास जता रही है। देशभर के सूचना आयुक्तों में से सिर्फ 13 ही महिला सूचना आयुक्त हैं। हालांकि ये स्थिति पहले की तुलना में कुछ बेहतर जरूर हुई है। पिछले साल सिर्फ 11 महिला सूचना आयुक्त थी। सिर्फ आठ सूचना आयोगों में ही महिलाएं अपनी सेवाएं दे रही है। किसी भी सूना आयोग में महिला चीफ नहीं है। हरियाणा सूचना आयोग में एक महिला चीफ के रूप में काम कर रही है मगर यहां औपचारिक रूप से कोई महिला अधिकारी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग के 11 सदस्यों में सिर्फ एक ही महिला शामिल है। हालांकि राज्य सूचना आयोगों में आंध्रप्रदेश और हरियाणा में दो-दो महिला सदस्य हैं।

 

मिजोरम में एक आरटीआई पर खर्च होते हैं 9.5 लाख रुपए

 

इस अध्ययन में आरटीआई के प्रत्येक मामले को निपटाने में कितना खर्च आता है उसका भी खुलासा किया गया। मिजोरम के सूचना आयोग में एक आरटीआई केस का खुलासा करने में करीब 9.5 लाख रुपए का खर्च आता है। राजस्थान में ये कीमत सबसे कम है। यहां एक केस काखुलासाकरने में करीब 1, 678 रुपए का खर्चा आता है।

 

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