नेत्रहीन लड़की के घर बारात लेकर पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण

‘मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, जा के सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई…’ मीराबाई ने इसी भजन के साथ श्रीकृष्ण के प्रेम में रमकर उन्हें अपना पति बनाया था. करीब 400 साल बाद मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के दिगौड़ा में फिर इसी परंपरा को दोहराया गया.

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक नेत्रहीन युवती ने भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला डालकर गंधर्व विवाह किया. जन्म से नेत्रहीन शालिनी भी मीराबाई की तरह श्रीकृष्ण की अन्यय भक्त हैं. वे बचपन से ही श्रीकृष्ण की प्रतिमा अपने साथ रखती थींं और अब उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया.

बेटी ने दूरी की पिता की चिंता

शालिनी के नेत्रहीन होने की वजह से पिता को उसकी शादी की चिंता सता रही थी. अब भगवान श्रीकृष्ण से बेटी की शादी के बाद वह खुद को धन्य मान रहे हैं. अब उनका कहना है कि श्रीकृष्ण के रूप में अविनाशी दामाद मिल गया है.

बारात लेकर पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण

जिले के दिगौड़ा में रविवार को गोपाल मंदिर से दूल्हा बनाकर श्रीकृष्ण की बारात निकाली गई. सबblind-marriage-tikamgarhसे पहले बारात हनुमान मंदिर पहुंची, जहां हनुमान जी महाराज को लगुन पत्रिका भेट की गई. इसके बाद गांव की गलियों से होकर बारात ने दुल्हन शालिनी के घर की तरफ रुख किया, तो जनसैलाब उमड़ पड़ा.

दुल्हन के आंगन में पूरी हुईं शादी की रस्में

शादी की सारी रस्में शालिनी के आंगन में ही पूरी की गईं. दूल्हा बने श्रीकृष्ण बारात लेकर शालिनी के घर पहुंचे तो महिलाओं ने मंगल गीत गाए. पिता ने परंपरा निभाते हुए दूल्हे का तिलक किया और फिर विवाह की रस्में शुरू हुईं.

भोपाल के आचार्य मनीष तिवारी ने विवाह की रस्में पूरी कराईं. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शालिनी ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के गले में वरमाला पहनाई, फिर भगवान श्रीकृष्ण के हाथों में वरमाला देकर शालिनी के गले में पहनाया गया.

शालिनी कहां रहेगी, आज होगा फैसला

भगवान श्रीकृष्ण से शादी के बाद परिजन चाहते हैं कि उनकी बेटी घर पर आकर रहे, जबकि वह मंदिर में सेविका बनकर रहना चाहती है. सोमवार को इस बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा.

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