संगीत मन के भाव को तो बयां करता ही है लेकिन यही संगीत आपके स्वास्थ्य को भी …

संगीत मन के भाव को बयां करने का बेहद सरल तरीका है। संगीत में लय, ताल का समावेश है तो संगीत थिरकने पर मजबूर कर देता है। लेकिन यही संगीत आपके स्वास्थ्य को भी बेहतर कर सकता ह

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वैदिक काल में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिनसे यह पूरी तरह से प्रमाणित होता है कि उस समय संगीत चिकित्सा शिखर पर रही होगी। ऊं का नाद स्वर इसी संगीत चिकित्सा का सर्वोपरि उदाहरण है।

मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है। ‘राग’ का आधार मधुर लय है। विभिन्न ‘राग’ केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली से संबंधित अनेक रोगों के इलाज में प्रभावी पाए गए हैं। संगीत चिकित्सा का सिद्धांत, सही स्वर शैली तथा संगीत के मूल तत्वों के सही प्रयोग पर निर्भर करता है।

राग अनगिनत है तथा निश्चित रूप से प्रत्येक राग के अपने ही अनगिनत गुण हैं। यही कारण है कि हम किसी विशेष राग को किसी विशेष रोग के लिए स्थापित नहीं कर सकते हैं। याद रखने वाली बात यह है कि भारत में प्रत्येक वर्ष 13 मई को संगीत चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विदेशों मे भी प्रचलित

‘मीनिंग ऑफ़ द इंटेलेक्ट’ पुस्तक में संगीत चिकित्सा का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह पुस्तक तुर्की-फ़ारसी मनोवैज्ञानिक तथा संगीत सैद्धांतिक अल-फ़राबी (872–950) ने लिखी थी। जिन्हें यूरोप में ‘एल्फराबियस’ के नाम से जाना जाता है।

ठीक इसी 17वीं सदी की महान कृति ‘द एनॉटोमी ऑफ़ मेलैन्कोली’ में किताब के लेखक रॉबर्ट बर्टन ने उल्लेखित किया कि, ‘संगीत और नृत्य मानसिक रोगों के उपचार के लिए काफी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से विषाद-रोग में इनकी महत्ता काफी अधिक है।

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