इंदौर। इस पतंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके मांझे से उलझकर किसी परिंदे की जान नहीं जाएगी, क्योंकि ये रिमोट से कंट्रोल होगी। दरअसल, हर साल संक्रांति के बाद पता चलता है कि कांच के मांझे में उलझकर कई परिंदों की जान चली गई। इस स्थिति को टालने के लिए शहर के पतंग प्रेमियों ने नए तरह की रिमोट कंट्रोल पतंगें बनाई हैं जिनके जरिए उनका शौक भी पूरा हो जाएगा और कोई परिंदा मांझे में उलझ कर जान भी नहीं गंवाएगा। इन पतंगों की ऊंचाई भी ऐसी रखी जाएगी कि परिंदों के टकराने का खतरा कम से कम हो। इसके अलावा संक्रांति पर इसे शहर की भीड़-भाड़ से दूर सुरक्षित उड़ाया जाएगा।
इन पतंगों को बनाने के लिए ऐरो राइडिंग प्लेन में इनोवेशन किया गया है। ‘ऐरो राइडर्स क्लब” के मेंबर प्रतीक जुनेजा बताते हैं कि बेंगलुरू, मुंबई, पुणे आदि शहरों में मिलने वाले आरसी प्लेन के ऊपर मार्केट में मिलने वाली खास डिजाइन की पतंगों को इंस्टाल कर रिमोट कंट्रोल पतंगें बनाई जा रही हैं। इसे सामान्यत: 400 से 500 फीट ऊंचाई पर उड़ाया जाता है। इसकी साइज 12 से 80 इंच हो सकती है। इनीशियल स्टेज में हमने 22 इंच की पतंग बनाई है।
इस साइज की एक पतंग बनाने में करीब सात हजार का खर्च आता है। इसे उड़ाने के लिए हवा के अनुकूल रुख के साथ बड़े मैदान का भी होना जरूरी है ताकि पतंग नजरों से ओझल न हो सके अन्यथा आप उस पर पूरा नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। किसी पेड़ या मकान से टकराकर पतंग टूट भी सकती है और ऊंचाई से तेजी से नीचे गिरने पर ये किसी को चोटिल भी कर सकती है। हालांकि आमतौर पर ये फ्लोट होते हुए उतरती है। फिर भी किसी भी तरह की रिस्क से बचने के लिए इसे खुले मैदान में ही उड़ाया जाना चाहिए।
बेहतर पतंगों के लिए आईआईटी स्टूडेंट्स को कर रहे मोटिवेट
‘ऐरो राइडर्स क्लब’ के अध्यक्ष प्रतापसिंह सोढ़ा के सहयोग से बनी इस पतंग को परिस्थितियों के मुताबिक या तो टायरों पर रनवे से उड़ाया जाता है या किसी सहयोगी के जरिए इसे हवा के विपरीत दिशा में ऊंचाई पर ले जाकर छोड़ा जाता है। आरसी काइट्स में नॉर्मली ब्रुशलेस मोर्ट्स का उपयोग किया जाता है। एक बार में इन्हें 10 से 12 मिनट तक उड़ाया जा सकता है। जुनेजा बताते हैं कि इस पतंग की खूबियों को देखते हुए हम शहर में और बेहतर आरसी पतंगे बनाने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं।