शिक्षाकर्मियों को वेतन के पड़ सकते हैं लाले..

रायपुर।  केंद्र सरकार ने प्रदेश के शिक्षा विभाग की राशि सालभर से रोक रखी है। इससे शिक्षाकर्मियों के वेतन पर संकट गहरा सकता है। फिलहाल राज्य सरकार शिक्षाकर्मियों के वेतन पर अपने फंड का एडवांस उपयोग कर उन्हें हर महीने तनख्वाह बांट रही है, पर अगर केंद्र ने जल्द राशि नहीं जारी की तो अगले एक-दो महीने में हालत खराब हो सकती है। इस सिलसिले में प्रदेश के शिक्षामंत्री केदार कश्यप केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से गुहार लगाने गए थे।

जावड़ेकर ने आश्वासन दिया है कि जल्द राशि जारी की जाएगी, लेकिन कब की जाएगी यह नहीं बताया है। इधर प्रदेश के शिक्षा सचिव कह रहे इस मामले में कोई गलतफहमी हुई है। केंद्र ने कोई राशि रोकी नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान में उनका जितना शेयर है वे दे चुके हैं। स्वीकृत ज्यादा का हुआ है, जबकि बजट कम है, इसलिए दिक्कत आ रही है।

प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकार की 60 और 40 प्रतिशत की भागीदारी है। सर्व शिक्षा अभियान तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन में केंद्र और राज्य की भागीदारी से शिक्षाकर्मियों के वेतन सहित स्कूलों का अन्य व्यय किया जाता है। शिक्षाकर्मियों के वेतन में लेट लतीफी आम बात है। कई बार केंद्र से पैसा समय पर न आने से समस्या आती है, पर राज्य सरकार अपने हिस्से के बजट से एडवांस निकाल कर इसकी भरपाई करती रही है। अब स्थिति यह है कि शिक्षकों के वेतन मद में राज्य का जो शेयर अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक के लिए निर्धारित था वह नवंबर में ही खर्च हो चुका है। वर्तमान में जनवरी तक का शिक्षाकर्मियों का वेतन राज्य सरकार जारी कर चुकी है, लेकिन इसके बाद देने के लिए पैसे नहीं हैं। केंद्र से पैसे न मिलने से फरवरी में करीब 45 हजार शिक्षकों का एक माह का वेतन अटक सकता है। अफसरों का कहना है कि कहीं से भी लोन लेकर वेतन दिया जाएगा भले दूसरे काम न हों।

आधी राशि भी नहीं आई

सर्व शिक्षा अभियान में केंद्र सरकार को 1410 करोड़ रुपए देने थे, लेकिन अब तक सिर्फ 572 करोड़ रुपए मिले हैं। यह कुल बजट के आधे से भी कम है। शिक्षाकर्मियों का वेतन एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। इसमें राज्य सरकार कोई रिस्क नहीं ले सकती, इसलिए शिक्षा विभाग का बाकी काम रोककर वेतन को प्राथमिकता में रखा है। केंद्र सरकार ने इस मद में 25 हजार करोड़ का प्लान रखा था, जबकि अपू्रवल 81 हजार करोड़ का है। पैसे पहले ही खर्च हो चुके हैं। यह सिर्फ छत्तीसगढ़ की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश की है। हम व्यवस्था कर रहे हैं।

विकास शील, सचिव शिक्षा विभाग

केंद्र से राशि मिलने में देर हुई है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री से चर्चा की है। उन्होंने इस मामले में देरी पर पूरे देश से माफी मांगने की बात कही और आश्वासन दिया है कि जल्द राशि जारी की जाएगी। जल्द पैसे न मिले तो दिक्कत हो सकती है।

केदार कश्यप, मंत्री शिक्षा विभाग

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