काले धन को लेकर की गई प्रधानमंत्री की एक कथित टिप्पणी को लेकर बिफरे विपक्ष ने आज राज्यसभा में हंगामा किया और प्रधानमंत्री से माफी की मांग की जिसके कारण उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग करते हुए कांग्रेस, बसपा और तणमूल कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। दूसरी ओर सत्ता पक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए नारे लगाने लगे।
हंगामे के कारण उप सभापति पी जे कुरियन ने करीब 11 बजकर 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बैठक शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने सदन के पूर्व सदस्य दीपेन घोष के निधन की जानकारी दी और सदस्यों ने कुछ पल मौन रहकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए गए। लेकिन तभी बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज सुबह पूरे विपक्ष पर आरोप लगाया है कि उसे अपना काला धन सफेद करने का समय नहीं मिला। यह अत्यंत निंदनीय टिप्पणी है और प्रधानमंत्री ने ऐसा कहकर पूरे विपक्ष का अपमान किया है जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कल नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य सदस्यों ने साफ शब्दों में कहा था कि विपक्ष काले धन के खिलाफ है तो फिर प्रधानमंत्री यह आरोप कैसे लगा सकते हैं कि विपक्ष काले धन का पक्षधर है। आजाद ने कहा प्रधानमंत्री यह आरोप कैसे लगा सकते हैं। हम काले धन के खिलाफ हैं और प्रधानमंत्री को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। इसी बीच कांग्रेस, बसपा और तणमूल कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। हंगामे के बीच ही कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। उन्होंने कहा कि 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट अमान्य किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें आजाद की ओर से नियम 267 के तहत एक नोटिस मिला है।
उन्होंने कहा कि अगर सदस्य चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं तो वह नोटिस स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। आजाद ने कहा कि नोटिस में यह शर्त है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं, पूरी चर्चा सुनें और उसका जवाब दें। उन्होंने कहा कि कल जब प्रधानमंत्री सदन में आए थे तब उन्होंने पूरे विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का स्वागत किया था और पूछा था कि क्या वह नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा लेने आये हैं या प्रश्नकाल के लिए आए हैं। कुरियन ने कहा कि सदन के नेता और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कल ही स्पष्ट कर दिया था कि प्रधानमंत्री आएंगे और चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। इस पर असहमति जताते हुए आजाद ने कहा हमसे वादा किया गया था कि प्रधानमंत्री बहस खत्म होने तक सदन में रहेंगे। लेकिन वह चले गए और भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर नहीं आए।
विपक्ष के नेता ने कहा प्रधानमंत्री का आरोप है कि विपक्ष काले धन का पक्षधर है। यह सदन का और पूरे विपक्ष का अपमान है। हमने जब कहा है कि हम काले धन के खिलाफ हैं , जब पूरे विपक्ष ने कहा है कि वह काले धन के खिलाफ है तो प्रधानमंत्री ऐसा कैसे कह सकते हैं। प्रधानमंत्री को इसके लिए पूरे सदन से माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि नोटबंदी के ऐलान से पहले सरकार की ओर से पूरी तैयारी नहीं होने की आलोचना करने वालों को इस बात की पीड़ा है कि उन्हें खुद तैयारी का समय नहीं मिला। अगर उन्हें 72 घंटे तैयारी के लिए मिल गये होते तो वह प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे होते।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर विपक्ष को 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट अमान्य करने से पहले 72 घंटे का समय दे दिया जाता तो वह उनकी आलोचना करने के बजाय उनकी तारीफ करता। उन्होंने कहा कि पूरे विपक्ष को इस तरह बताना सरासर गलत है कि उसके पास काला धन है। प्रधानमंत्री को अपनी टिप्पणियों के लिए विपक्ष से माफी मांगनी चाहिए। जदयू के शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर अत्यंत गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पूरे विपक्ष को काले धन का समर्थक बताने से अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि कल सदन में बहुत ही अच्छी चर्चा हुई जिसमें सदस्यों ने कालेधन का खुल कर विरोध किया। अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि वह साधु हैं और हम सब शैतान हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष पर काले धन का समर्थक होने का आरोप लगाने के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए। कुरियन ने सदस्यों से शांत होने और बहस को आगे बढ़ाने की अपील की लेकिन प्रधानमंत्री से माफी की मांग को लेकर आसन के समक्ष कांग्रेस, बसपा और तणमूल कांग्रेस के सदस्यों की नारेबाजी तथा सत्ता पक्ष के सदस्यों की प्रधानमंत्री के पक्ष में की जा रही नारेबाजी जारी रहने के कारण सदन में हंगामा होने लगा। सदन में व्यवस्था बनते न देख कुरियन ने 11 बजकर करीब 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
एक बार के स्थगन के बाद बारह बजे बैठक पुन: शुरू होने पर सदन में वही नजारा था। सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन कांग्रेस सदस्यों ने आपत्ति जताई। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सुबह प्रधानमंत्री द्वारा एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान की गई टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा :प्रधानमंत्री ने: पूरे विपक्ष पर गंभीर आरोप लगा दिया। राज्यसभा, लोकसभा, राज्यों की विधायिकाओं :विधानसभा एवं विधान परिषद: में विपक्षी सदस्य हैं। विपक्ष पर जब इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाएंगे तो विपक्ष चुप नहीं रह सकता। आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।
हंगामे के बीच ही संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी यह कहते हुए सुने गए कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता बल्कि माफी तो विपक्षी सदस्यों को मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा विपक्ष के पास कोई तर्क, कोई तथ्य, कोई मुद्दा नहीं है और वह बेवजह हंगामा कर कार्यवाही को बाधित करता है। प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। बल्कि विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए और देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। इसी बीच कांग्रेस, बसपा और तणमूल कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। सत्ता पक्ष के सदस्य अपने स्थान से आगे आ कर प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए नारे लगाने लगे। सभापति अंसारी ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने करीब 12 बजकर पांच मिनट पर ही बैठक को दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।