उत्तराखंड में ज्यादा हो रहे सड़क हादसे के पीछे ये सबसे बड़ा कारण?

उत्तराखंड में ज्यादातर सड़क हादसे ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड के कारण हो रहे हैं। इस साल अगस्त तक कुल 1075 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 641 की मौत हुई और 1014 घायल हुए।

 

 

 

देहरादून: सूबे की सड़कों पर ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड जिंदगी के सफर पर बीच रास्ते में ही विराम लगा रही है। दून समेत मैदानी जनपदों में स्थिति सबसे नाजुक है। यहां होने वाले करीब 90 फीसद हादसों की वजह वाहन में निर्धारित क्षमता से ज्यादा यात्री और माल ढोया जाना है।
राज्य में इस साल अगस्त तक हुए सड़क हादसों पर गौर करें तो सभी 13 जनपदों में कुल 1075 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 641 की मौत हुई और 1014 घायल हुए। केवल मैदानी जिलों की बात करें तो इसमें 817 दुर्घटनाएं देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर में हुईं।
इन हादसों में 455 मौतें हुईं और 609 घायल हुए। अब इन हादसों की वजह की बात करें तो पुलिस की विवेचना बताती है कि इस साल मई तक हुए 693 सड़क हादसों में से 623 ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड व अन्य सड़क सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते हुए।
इसमें भी चार मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर की स्थिति चौंकाने वाली है। इन जनपदों में ओवरलोडिंग व ओवरस्पीड की वजह से इस अवधि में 536 हादसे हुए, जबकि शेष पर्वतीय जनपदों में महज 87 दुर्घटनाएं हुईं।
हादसों की इस भयावह तस्वीर के बाद भी जहां लोग सबक लेने को तैयार नहीं हैं, वहीं जिम्मेदार तंत्र भी इसकी अनदेखी कर रहा है।
अवैध खनन सभी कारणों का मूल
सड़क हादसों के पीछे राज्य के मैदानी व पर्वतीय जनपदों में हो रहा अवैध खनन भी कम जिम्मेदार नहीं। अफसरान भी इसे दबी जुबां से स्वीकारते हैं। हाईवे से लेकर ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर आए दिन रेत, पत्थर से लदे डंपर लोगों को रौंदकर भाग निकलते हैं।
फिर भी जिम्मेदार इन पर नकेल कसने की जहमत नहीं उठाते। न तो उनके भार वाहन की क्षमता पर कोई गौर कर रहा है और न ही सड़कों पर चलने की उनकी टाइमिंग को लेकर ही कोई खाका तैयार हो सका है। ज्यादा कमाई के फेर में ये डंपर ओवरलोड होने के साथ ही स्पीड की सीमाएं पार करते सड़कों पर कहीं भी देखे जा सकते हैं।
लालच भी थाम रही जिंदगी की डोर
पर्वतीय मार्गों पर सवारी वाहनों की संख्या मैदानी इलाकों की अपेक्षा कम होने के कारण निजी वाहन चालक मानक से कहीं ज्यादा सवारियां ढोते हैं। इस ओवरलोडिंग के पीछे वाहन चालक को अधिक किराये का लालच होता है तो लोगों के सामने मजबूरी होती है वक्त पर घर पहुंचने की।
यह ओवरलोडिंग आए दिन वाहनों की टक्कर और उनके खाई में गिरने जैसे दर्दनाक हादसों की वजह बनती है। इसी साल वाहनों के खाई में गिरने के दो दर्जन से ज्यादा बड़े हादसे हो चुके हैं।

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