सूबे के थानों में फरियादियों के साथ क्या और कैसा व्यवहार हो रहा है, पुलिस कर्मी ड्यूटी कर रहे है या फिर उगाही..। अब सब कुछ अफसरों की नजरों में होगा, थानों में लगे कैमरों को तकनीकी सेवा मुख्यालय लखनऊ के कंट्रोलरूम से जोड़ दिया गया है। अब डीजीपी, एडीजी समेत सभी आला अधिकारी लखनऊ में बैठे-बैठे ही कानपुर पुलिस की गतिविधियों की निगरानी कर सकेंगे। कैमरों को थानों के मुख्यद्वार (जहां से थाना परिसर कवर हो) और मुंशी के कक्ष के पास लगाया गया है। इसका ट्रायल भी कोतवाली में लगे कैमरे से एडीजी तकनीक की मीटिंग में पिछले सप्ताह हुआ।
प्रथम चरण में प्रदेश के क्राइम बाहुल्य व चर्चित 162 थानों में से शहर के कोतवाली, कर्नलगंज, काकादेव, पनकी, बर्रा, कैंट, चौबेपुर, ककवन व घाटमपुर में लगाए थे। दूसरे चरण में प्रदेश के 786 थानों में शहर के 33 थाने ( सजेती और महिला थाना छोड़ सभी) को चिह्नित किया गया। जहां सीसीटीवी कैमरे लगने के साथ उनको ऑनलाइन भी कर दिया गया है। इसका सर्वर पुलिस लाइन में स्थित सीसीटीएनएस के कार्यालय में बनाया गया है। जो लखनऊ स्थित तकनीकी सेवा मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। महिला थाने को निजता और सजेती थाने को कनेक्टिविटी के चलते इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है।
कैमरों की यह होगी खासियत
प्रदेश के थानों में कैमरा लगाने का जिम्मा श्री ट्रान इंडिया लिमिटेड को सौंपा गया है। यह नाइट विजन कैमरे हैं। इनकी विजुअलिटी (दृश्यता) 30-50 मीटर और क्लिएरिटी (स्पष्टता) 20-30 मीटर तक है।
हर थाने को मिला लैपटॉप, अब होगी वीडियो कांफ्रेंसिंग
थानों में एफआईआर दर्ज कराने आने वाले फरियादियों को कभी लाइट तो कभी कंप्यूटर खराब होने और कभी नेट न चलने का बहाना बताकर एफआईआर दर्ज न करने का खेल अब नहीं चलेगा। सभी थानों में कंप्यूटर सिस्टम के साथ एक-एक लैपटाप भी मुहैया करा दिया गया है। साथ ही नेट की सुविधा भी। इसके माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर होगी वहीं अधिकारी कभी भी थाने के पुलिस कर्मियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दिशानिर्देश देंगे।
”जब लोग कैमरे की निगाह में होंगे तो उनका आचरण भी बदलेगा और अपराधों की असल स्थिति पता चलेगी। वहीं थानों में व्यवहार को लेकर लगने वाले आरोप-प्रत्यारोप का भी सही आंकलन हो सकेगा। इससे पुलिस की पारदर्शिता भी सामने आएगी।
– आकाश कुलहरि, एसएसपी