छत्तीसगढ़ सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दी हिदायत

छत्तीसगढ़- सरकार ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के पास वर्ष 2004 में दो बच्चों सहित पांच लोगों की हत्या के दोषी एक व्यक्ति की फांसी पर रोक लगाने और इस मामले को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है.
यह बात जस्टिस जी.एस. सिस्तानी और जस्टिस विनोद गोयल की बैंच से कही गई. इसके बाद बैंच ने दोषी की ओर से दायर एक याचिका की विचारणीयता को चुनौती देने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.

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राज्य सरकार के वकील अतुल झा ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के पास दोषी सोनू सरदार की फांसी पर रोक लगाने का ‘‘कोई क्षेत्राधिकार नहीं’’ है क्योंकि अपराध छत्तीसगढ़ में हुआ था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दो मार्च 2015 को पांच लोगों की हत्या के दोषी सरदार की फांसी पर रोक लगाई थी. सरदार ने अपनी याचिका में कहा कि उसके मौत के वारंट पर चार मार्च 2015 को हस्ताक्षर होने थे.
फांसी पर रोक के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके दिल्ली हाईकोर्ट के इस मामले को सुनने के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से चार हफ्ते में राज्य के आवेदन पर फैसला करने को कहा था.
सोमवार को दलीलों के दौरान, राज्य सरकार ने कहा कि वर्तमान कार्यवाही सहित आज तक की सभी कार्यवाही छत्तीसगढ़ में हुए एक अपराध से संबंधित है. सीआरपीसी क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार से संचालित होता है. इस मामले की सभी सामग्री छत्तीसगढ़ में आधारित है. यहां तक कि याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ की रायपुर सेंट्रल जेल में है. सरदार ने अपने भाई और अन्य साथियों के साथ मिलकर 26 नवंबर 2004 को छत्तीसगढ़ के चेर गांव में डकैती के प्रयास के दौरान एक महिला और दो बच्चों सहित एक परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी थी.

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