छिंदवाड़ा (ब्यूरो)। कहते हैं कि बुरे वक्त में इंसान की पहचान होती है, लेकिन एक व्यक्ति के लिए बेरोजगारी इतना बुरा वक्त लेकर आई कि सात फेरे लेकर सात जन्मों का वादा निभाने वाली उसकी पत्नी ने ही उसके साथ रहने से इंकार कर दिया। उमेश (परिवर्तित नाम) की शादी एक साल पहले सुनीता ( परिवर्तित नाम) से हुई थी। उमेश पुणे में निजी कंपनी में काम करता था, अच्छी प्रोफाइल देखकर सुनीता ने उमेश से शादी कर ली।
शादी के बाद उमेश की नौकरी चली गई , जिसके कारण उसकी पूरी जिंदगी बदल गई। पत्नी सुनीता ने भी उसकी बेरोजगारी का हवाला देकर साथ रहने से मना कर दिया। सुनीता के मुताबिक वह कई बार उमेश को नौकरी ढूंढने के लिए कह चुकी, लेकिन उसने एक न सुनी। अब वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती।
परिवार परामर्श केंद्र में जब मामला पहुंचा तो सुनीता इस बात पर अड़ गई कि उमेश जब तक नौकरी नहीं करेगा, तब तक वह उसके साथ नहीं रहेगी। इस मामले में दोनो पक्षों की सुनवाई की गई और नौकरी करने का वादा करने के बाद मामले में सुलह करवाई गई।
उमेश ने भी माना कि वह फिलहाल बेरोजगार है। इस कारण परेशानियां आ रही हैं। वहीं सुनीता ने कहा कि शादी से पहले पति पुणे में नौकरी करता था लेकिन शादी के बाद पति अब कोई काम नही करना चाह रहा है। इस कारण घर का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो गया है।
इस मामले में केन्द्र में मौजूद काउसंलरों के सामने ही पति ने नौकरी करने की हामी भरी और पत्नी से भी वादा किया। जिसके बाद रूठी पत्नी मानी और पति के साथ रहने को तैयार हो गई। मामले में काउंसलरों ने सुलह करवाई।