नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में गुरुवार को सेना की मौजूदगी को लेकर शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। जहां विपक्ष ने इसे साजिश करार देते हुए सरकार से जवाब मांगा वहीं सरकार ने कहा कि यह रूटिन एक्सरसाइज थी और इस पर विवाद करना दुखद है।
जानकारी के अनुसार विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संसद की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा में पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती का मुद्दा उठाया। वहीं टीएमसी ने लोकसभा में इस मुद्दे को उछाला।
लोकसभा में सरकार का पक्ष रखते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि यह रूटिन एक्सरसाइज थी और इसे विवादित मुद्दा बनाना दुखद है। यह सेना की एक्सरसाइज है जो सालों से की जा रही है। इससे पहले पिछले साल 19 और 21 नवंबर को भी इस तरह की एक्सरसाइज हुई थी। इस साल सेना ने पहले 28,29 और 30 दिसंबर को इस एक्सरसाइज को करने के लिए कहा था लेकिन बाद में तारीख बदलकर 1 और 2 दिसंबर कर दी गई। यह दुखद है कि इसे विवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है।
वहीं राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह अलग मुद्दा है, सेना टोल नहीं वसूलती वहीं राज्य में कोई भी आनून व्यवस्था का मुद्दा नहीं तो फिर सेना को क्यों तैनात किया गया। केंद्र और पीएम सफाई दे कि क्यों राज्य के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
इसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है जो सेना से जुड़ा है। हम महत्वपूर्ण बातों से दूर ना जाएं। वहीं रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने सदन को बताया कि इस तरह की एक्सरसाइज पिछले साल भी हुई थी।
इन सांसदों के अलावा बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बंगाल सीएम के साथ ज्यादती हो रही है। भारतीय संविधान पर बहुत बड़ा हमला है यह। सेना का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। इस बीच टीएमसी ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया है।