गुड़ाबांदा: सरकार स्कूलों में स्मार्ट क्लास के दावे करती है। स्कूलों में अन्य सुविधाओं के दावे के कहने ही क्या। लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित गुड़ाबांदा प्रखंड के गुड़ाबांदा पंचायत के गुड़ा प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर दावे की कलई खोल देती है। यहां कक्षा में रसोई है और बच्चे बरामदे में ककहरा पढ़ते हैं। ऐसा नहीं है कि कक्षा में रसोई की वजह से बच्चों के बैठने के लिए जगह नहीं बचती, लेकिन जब खाना तैयार करने के लिए लकड़ी का चूल्हा जल रहा होता है तो धुंआ की वजह से बच्चे बैठ नहीं पाते और भागकर बरामदे में चले जाते हैं। कक्षा में दम घुटने की वजह से बच्चों की क्लास बरामदे में लगाना ही गुरुजी मुनासिब समझते हैं।
दरअसल, मिड डे मील बनाने के लिए विद्यालय में किचन शेड की व्यवस्था नहीं की गई है। किचन शेड नहीं रहने के कारण विद्यालय के एक कमरे को किचन रूम बना दिया गया है। वैसे भी इस विद्यालय में दो ही कमरे हैं। इसके कारण एक कमरे में ही कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई होती है। वैसे भी विद्यालय में कायदे-कानून भगवान भरोसे हैं। मिड डे मील दिन के 11 बजे ही दिया जा रहा है। जबकि इस वक्त में नाश्ता देने का प्रावधान है। जब यह संवाददाता स्कूल पहुंचा तो पता चला कि शिक्षिका मधुचंदा प्रमाणिक स्कूल के बच्चों को शिक्षा समिति के अध्यक्ष के घर अपने वेतन संबंधित कागजात पर हस्ताक्षर कराने के लिए भेज देती हैं। कशियाबेड़ा विद्यालय से दो किलोमीटर पैदल ही तीन बच्चे बैद्यनाथ पातर, संजय मांडी एवं नकुल ¨सह निकल पड़े हैं। उन तीनों ने रास्ते में मुलाकात के दौरान पूछे जाने पर बताया कि दीदी ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष के घर कागजात पर हस्ताक्षर कराने भेजी है। अब बच्चों के मुख्य सड़क से आने-जाने के दौरान कोई दुर्घटना हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी होगी, बड़ा सवाल हो जाता है।
ऐसा नहीं है कि स्कूल की निगरानी के प्रावधान नहीं है। विद्यालय में पढ़नेवाले बच्चों के अभिभावक से लेकर मुखिया तक शिक्षा समिति के सदस्य होते हैं जिन्हें विद्यालय की गतिविधियों पर नजर रखनी होती है। लेकिन समिति सिर्फ नाम की है। पिछड़ा इलाका होने की वजह से अभिभावकों को इस बात की फुर्सत नहीं होती कि वे विद्यालय की गतिविधियों पर नजर रख सकें। विद्यालय के सीआरपी कुछ बतायेंगे तो ही जानकारी मिलेगी कि आखिर विद्यालय में क्या चल रहा है। बच्चों को स्कूल के समय मुख्य सड़क पर छोड़ देना या किसी कागजात को पहुंचाने के लिए कहना गलत है। ऐसी बात है तो उक्त शिक्षिका पर कार्रवाई करते हुए शो-कॉज किया जायेगा।
-बंसत नारायण ¨सह, बीईईओ, गुड़ाबांदा प्रखंड।