हर साल दिल्ली में लगभग 10,600 मौतें होती है तंबाकू सेवन से

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराने के लिए पिछले दिनों हेल्थ फाउंडेशन का एक प्रतिनिधमंडल खाद्य सचिव से मिला भी था।

टाटा मेमोरियल के प्रोफेसर एवं कैंसर सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने भी दिल्ली सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है और उम्मीद जताई है कि दिल्ली पुलिस लोकहित को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायलय के आदेश को पूरी तरह से पालन कराने में सहयोग करेगी।

डॉ. चतुर्वेदी बताते हैं कि कैंसर का 40 प्रतिशत कारण तंबाकू है। अस्पताल में प्रतिदिन जो कैंसर रोगी आते है उनकी उम्र बहुत कम होती है। यह बेहद चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में 24.3 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। यहां पर करीब दस हजार छह सौ लोग तंबाकू व अन्य धूमपान उत्पादों के सेवन से प्रतिवर्ष मर रहे हैं।

दस वर्ष से कम उम्र में ही बच्चे भी तंबाकू उत्पादों का सेवन भी शुरू कर देते हैं। करीब 81 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों के सेवन की शुरुआत करते हैं।

हेल्थ फाउंडेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. हिना शेख ने बताया कि गुटखा एवं तम्बाकू उत्पादों की बिक्री और निर्माण पर पूरी तरह रोक लगने से लोगों की तम्बाकू, गुटखा और पान मसाला के सेवन की आदतों में बदलाव आएगा।

कैंसर विशेषज्ञ डॉ. पीके जुलका ने कहा कि तंबाकू के इस्तेमाल से सिर्फ मुंह व फेफड़े का कैंसर ही नहीं होता। इससे हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, संक्रमण सहित कई घातक बीमारियां हो सकती हैं।

इसके सेवन से स्पर्म की गुणवत्ता खराब हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के सिगरेट या तंबाकू के इस्तेमाल से गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को खतरा रहता है। इसलिए पैकेट पर इस बाबत संदेश भी दिया जाना चाहिए।

थाइलैंड में चेतावनी संदेश प्रभावी एम्स के प्रिवेंटिव कैंसर के विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर ने कहा कि लोग सोचते हैं कि कैंसर एक-दो महीने में तो होगा नहीं। इस वजह से लोग जानलेवा होने के चेतावनी संदेश से भी नहीं डरते।

इसलिए जरूरी है कि ऐसे संदेशों का इस्तेमाल किया जाए जो मन में डर पैदा करे और सोचने पर मजबूर करे कि इसके सेवन से स्वास्थ्य पर तत्कालिक असर भी पड़ता है।

इसके लिए चेतावनी संदेशों में थाइलैंड की तरह विविधता लाना जरूरी है। जहां तंबाकू के इस्तेमाल से होने वाली तमाम परेशानियों को दर्शाया जाता है। शोध में पता चला है कि चेतावनी संदेशों के चलते वहां लोग धूमपान करने से पहले काफी सोचते हैं।

जर्मनी, फ्रांस, यूके (यूनाइटेड किंगडम), इटली में यह चेतावनी संदेश लिखा होता है कि स्पर्म की गुणवत्ता खराब और नपुंसकता हो सकती है। आस्ट्रेलिया में चेतावनी संदेश को लेकर सबसे कड़ा प्रावधान है।

वहां पैकेट पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने वाली चीजें बिल्कुल बंद कर दी गई हैं। वहां पैकेट पर यह भी चेतावनी दी जाती है कि अपने बच्चों को धूूमपान की सांस नहीं लेने दें।

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