नई दिल्ली (जेएनएन)- मुंबई के हाजी अली दरगाह के लिए मंगलावर का दिन ऐतिहासिक हो गया है। लंबी कानूनी कार्रवाई के बाद आखिरकार हाजी अली दरगाह में आज महिलाओं ने प्रवेश किया। 80 महिलाओं ने हाजी अली दरगाह की मुख्य मजार में प्रवेश किया और वहां चादर भी चढ़ाई। 2 साल पहले भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने दरगाह के मुख्य हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी। 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दरगाह में पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी प्रवेश करने की अनुमति देने का फैसला सुनाए जाने के बाद, हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने अदालती फैसले को मानने की घोषणा की। इस बदलाव को लागू करने के लिए ट्रस्ट ने अदालत से 4 हफ्ते का समय मांगा था, ताकि वह दरगाह में जरूरी प्रबंध कर सके। मालूम हो कि दरगाह के जिस हिस्से में मजार है, वहां महिलाओं के जाने पर पाबंदी थी।
प्रवेश के लिए महिलाओं और पुरुषों के अलग रास्ते नई व्यवस्था के तहत ट्रस्ट ने दरगाह में प्रवेश के लिए महिलाओं और पुरुषों के अलग रास्ते बनाए हैं साथ ही अब कोई भी मजार को छू नहीं सकेगा। बता दें कि 2012 में दरगाह ट्रस्ट के लिए गए एक निर्णय के बाद से ही दरगाह के मुख्य गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
भूमाता ब्रिगेड ने भी किया था विरोध भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन और दरगाह ट्रस्ट के बीच की इस कानूनी लड़ाई में कई मोड़ आए। भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई भी इस मुद्दे से जुड़ गईं। कुछ कार्यकर्ताओं ने बीएमएमए के संघर्ष का समर्थन करते हुए ‘हाजी अली सबके लिए’ नाम का मंच बनाया। इसके बाद देसाई ने भी ऐलान किया कि वह दरगाह में महिलाओं के प्रवेश की मनाही का विरोध करते हुए 28 अप्रैल को हाजी अली दरगाह के बाहर प्रदर्शन करेंगी। फिर उन्होंने बेहद नाटकीय अंदाज में यह घोषणा की कि वह दरगाह के अंदर प्रवेश भी करेंगी। बाद में जब कुछ मुस्लिम राजनेताओं और उनके समर्थकों ने देसाई के इस कदम का विरोध किया, तो उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और अगले दिन दरगाह पहुंचींl
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