इस बच्चे को सलाम कीजिए और इसके पिता को भी। हादसे ने बेटे के हाथ-पैर छीन लिए थे, लेकिन पिता ने ऐसा काम किया कि बेटा को मिल गए हाथ और पैर।
मामला 6 साल पुराना और हरियाणा के पानीपत का है। घर के ऊपर से गुजर रही हाई टेंशन बिजली की लाइन से तीन साल का रमन झुलस गया था। करंट से उसके दोनों हाथ और एक पांव इतने ज्यादा जल गए थे कि उन्हें काटना पड़ा था। तब से वह दूसरों के सहारे स्कूल आता जाता था। लेकिन अब खुद के पैरों पर चलकर जाने की तैयारी कर रहा है। यह सब हुआ पिता मनोज शर्मा के छह साल के संघर्ष की बदौलत। सानौली गांव में रहने वाले मनोज शर्मा कहते हैं कि अब बेटे को पैरों से चलता देखकर आंखों से बरबस ही आंसू छलक पड़ते हैं। लेकिन ये खुशी और सुकून के हैं जो उन्होंने छह साल की मेहनत से हासिल की है। अब उनके पास बिजली करंट से झुलसे लोगों के परिजन सलाह के लिए आते हैं। क्योंकि मनोज ने अपने बेटे रमन के करंट से झुलसने के बाद बिजली विभाग से छह साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी।
मनोज ने हादसे में हाथ-पांव गंवा चुके बेटे के लिए 60 लाख रुपए का मुआवजा मंजूर कराया और 27 लाख का इलाज करवाकर उसने कृत्रिम हाथ-पैर दिलवाएं हैं। जिनके सहारे आज वह खुद स्कूल जाने की तैयारी में जुटा हुआ है। हादसे के बारे में मनोज ने बताया कि तीन नवंबर 2011 को तीन साल के रमन शर्मा ने स्कूल से आने बाद खेलते समय घर के ऊपर से गुजर रही 11 हजार वॉट की हाइटेंशन बिजली लाइन को पकड़ लिया था। इस हादसे में रमन के दोनों हाथ और एक पैर बुरी तरह से झुलस गए थे। बड़ी मुश्किल से उसकी जान बच पाई थी। इलाज में 17 लाख रुपए खर्च हो चुके थे। मनोज ने बताया कि फिर मैंने बेटे के इलाज के खर्च और मुआवजे की लड़ाई शुरू की। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने रमन को 60 लाख रुपए का मुआवजा और 65 साल की उम्र तक किसी भी तरह की परेशानी आने पर इलाज कराने का निर्देश दिया।
मनोज ने बताया कि सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ बिजली निगम ने डबल बेंच में अपील कर दी और वहां मुआवजा 30 लाख रुपए कर दिया गया। पर मैंने हिम्मत नहीं हारी और सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के फैसले को बहाल किया और मुआवजे की रकम लेकर 27 लाख खर्च करके रमन का इलाज कराया।