मुंबई- फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक पर मुहर लगाए जाने के बाद इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अब हिंदू समुदाय के विवाहित जोड़ों को 90 दिन का समय मिलेगा। पहले यह समयसीमा 30 दिन की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले का मतलब यह भी है कि अब तलाक मिलने के बाद दोबारा शादी करने के लिए कम से कम 3 महीने का इंतजार करना होगा। इस अवधि में
अगर दूसरे पक्ष ने तलाक के फैसले को चुनौती नहीं दी, तो तलाक पक्का हो जाएगा। जस्टिस नरेश पटेल, आर डी धानुका और साधना जाधव की खंडपीठ ने यह बात कही।

– मालूम हो कि 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम में जहां अपील करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा दी गई है, वहीं 1984 के फैमिली कोर्ट्स अधिनियम में यह समयसीमा केवल 30 दिनों की है।
– इन दोनों अधिनियमों के प्रावधानों में यह बड़ा अंतर होना खासी परेशानी का मुद्दा था। कई मामलों में अदालत के फैसले इन दोनों प्रावधानों में अंतर होने के कारण विरोधाभासी हो जाते थे।
– 2014 में उच्च न्यायालय ने साल 2013 की एक तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए अपील करने की समयसीमा तय करने की जिम्मेदारी एक बड़ी खंडपीठ को सौंपी थी।
– कई बेंचों की इस सिलसिले में अलग-अलग राय थी। इन दोनों कानूनों में अंतर के कारण यह विरोधाभास पैदा हुआ था।
– गौरतलब है कि ठाणे निवासी शिवराम शेट्टी ने इस विषय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
– जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि तलाक लेने के90 दिन बाद हिंदू दोबारा विवाह कर सकता है बशर्ते तलाक के खिलाफ ऊपरी अदालत में कोईअपील प्रलंबित न हो।
– हाईकोर्ट के इस निर्णय में अदालत के एक पुराने आदेश का हवाला देतेहुए कहा गया है कि तलाक वैधानिक रूप से विवाह को समाप्त कर देता और पति व पत्नीदोनों दुबारा विवाह के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।