1300 बन्दियों की जगह रह रहे 3200 बंदी, 1666 बीमार, HIV के भी मरीज मिले

रायपुर रायपुर केंद्रीय जेल में 1666 बंदी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। यह खुलासा तब हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जेल में डॉक्टर्स भेजकर जांच कराई। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से रिपोर्ट न्यायालय को भेज दी गई है। इनमें टीबी और एचआईवी के 10-10 मरीज भी हैं। हालांकि अति-गंभीर, गंभीर कोई नहीं है, लेकिन जो बीमार हैं, उन्हें उच्च स्तरीय इलाज मुहैया करवा जा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर की जेलों में हेल्थ-चेकअप अभियान चलाया जा रहा है। इसका मकसद बंदियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना है, क्योंकि ये उनके अधिकार में शामिल है।

कोर्ट के आदेश पर सीएमएचओ रायपुर डॉ. केएस शांडिल्य ने स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की 3 अलग-अलग टीम गठित की, उन्हें जेल भेजा। करीब 20 दिन में एक-एक मरीज की जांच की गई, उनसे पूछ-पूछकर उन्हें दवाईयां दी गईं। इस जांच का एक और मकसद है संक्रमित बंदियों को ढू़ंढना, क्योंकि संक्रमित मरीज से कई बीमार पड़ सकते हैं। जिनमें टीबी, तेजी से फैलने वाली बीमारी है। केंद्रीय जेल में 3200बंदी हैं, इनमें से 1600 का बीमार पाया जाना जेल प्रशासन पर सवाल खड़े करता है? ये जांच अक्टूबर-नवंबर में हुई थी। उस समय जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड़ थे, जो जेल में हुए बंदियों के आंदोलन, गैंगबार, हत्या की घटना के बाद निलंबित कर दिए गए थे।

बीमारियों का कारण ओवर क्राउंडिंग भी

रायपुर केंद्रीय जेल की बंदी क्षमता 1300 की है, लेकिन यहां 3200 बंदी को रखा गया है। बीमारी फैलने की एक वजह यह भी होती है। इसलिए नियमित जांच जरूरी है, ताकि समय रहते बीमारी पकड़ में आ जाए और निदान हो जाए।

ये है प्रदेश की जेलों का हाल

आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 5 सेंट्रल जेलों में 3804 पुरुष, 294 महिला बंदियों को रखने की क्षमता है। जबकि 10 हजार से अधिक पुरुष व 800 महिला बंदियों को रखा गया है। यह कुल क्षमता से 261 फीसदी अधिक है।

किस बीमारी के कितने मरीज

मेडिसीन- 302

सर्जरी- 101

अस्थिरोग- 258

चर्म रोग- 116

कान-नाक-गला- 96

नेत्र- 336

जनरल सर्जरी- 418

मोतियाबिंद- 17

एचआईबी- 10

टीबी- 10

रूटीन जांच थी

यह रुटीन जांच थी, मकसद था कि संक्रमण वाली बीमारियों के मरीजों को ढूंढ़ना। जेल में राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम चल रहा है, जिसे सराहना भी मिली है। जिन्हें जो भी बीमारी निकली, उन्हें उपचार दिया गया।

 डॉ. केके गुप्ता, जेल अधीक्षक एवं डीआईजी जेल

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