बिलासपुर- सीपत से लगे एक छोटे से गांव की बात है। यहां 21 साल की युवती को ढाई महीने से दुधमुंहे बच्चे से अलग कर दिया गया। उसे पति ने छोड़ दिया। मायकेवालों ने पहले जंजीरों में जकड़ा और फिर मेंटल अस्पताल भेज दिया। अंधविश्वास की हद देखिए कि सब मानते हैं कि उस पर शैतान का साया है। सेंदरी के मेंटल अस्पताल में डॉक्टरों की रिपोर्ट है उसे कुछ भी नहीं हुआ। हमें उसने अपने दर्द की दास्तां सुनाई तो दिल झकझोर गया। पढ़िए उसी के शब्दों में…
– मेरा नाम (बदला हुआ) फातिमा है। मेरी उम्र 21 साल की है। आज से दो साल पहले शहर के एक मोहल्ले में मेरी शादी करवाई गई। सालभर तक सबकुछ ठीक रहा। मैं मां बनने वाली थी।
– तभी मेरे ससुराल वालों ने मेरे साथ ज्यादती करनी शुरू कर दी। पति मुझे मारा-पीटा करता और कई तरह की यातनाएं दिया करता। पेट में कलेजे का टुकड़ा पल रहा था, इसलिए सबकुछ सहन करती गई।
– मामला जब सिर से ऊपर हो गया तब मैंने इसकी सूचना अपने पिता को दी। पिता ने ससुराल को मेरा घर बताया और वहां रहने की नसीहत दी। कुछ दिन बाद मेरा बेटा हुआ।
– इसके कुछ दिन तक सबकुछ सही चल रहा था। अचानक फिर मामला बिगड़ा और पति ने पीटना शुरू किया। मेरी सहने की क्षमता जवाब दे गई।
– देर रात दुधमुंहे बेटे के साथ मैं अपने मायके आ गई। पति ने फोन पर बताया कि मेरे भीतर शैतान का साया है। इसके बाद मेरे घरवाले कई तरह के जतन करने में जुट गए।
– उन्होंने पहले तो मुझे जंजीरों से जकड़ा। झाड़- फूंक कराया। इसके बाद मुझे पास के एक धार्मिक स्थल में 15 दिनों तक रखा गया।
– जब कुछ सही नहीं हुआ तो मुझे मेंटल अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। वहां भी डॉक्टरों ने बताया कि मेरी मानसिक स्थिति सही है। फिर मुझे उज्जवला होम भेज दिया गया है।
– मेरा बेटा मेरे घरवालों के साथ है। मैं उसकी सूरत देखने को तरस रही हूं। प्लीज कोई मुझे मेरे बच्चे से मिलवा दो।
– अब महिला बाल विकास विभाग के उज्ज्वला होम में दिन काट रही है।
महिला प्रताड़ना के मामले बढ़ रहे
राजकिशोर नगर स्थित उज्जवला होम में किसी न किसी कारण से परिवार से अलग 12 महिलाएं अपना जीवन काट रही हैं। इनमें चार नाबालिग भी हैं। यहां ऐसी भी युवतियां हैं जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है। वे किसी भी कीमत पर इन्हें अपनाने को तैयार नहीं हैं।
ये प्रकरण बेहद ही गंभीर और समाज के लिए चिंतन का विषय है। मैंने पहले ऐसी घटना न तो देखी है और न सुनी है। हमारा लिए इन्हें घरवालों से मिलाना चुनौती भरा साबित हो रहा है। इसके बावजूद हमारी उम्मीद जिंदा है। इसके लिए लगातार कोशिश चल रही है। उम्मीद है कुछ दिनों में सबकुछ ठीक हो जाएगा।