वाराणसी. देश की नजरें इस वक्त यूपी असेंबली इलेक्शन की ओर हैं। यहां कई ऐसे कैंडिडेट हैं, जिन्होंने फर्श से उठकर पॉलिटिक्स में कदम रखा और अर्श तक पहुंच गए। इनमें से एक हैं बीएसपी कैंडिडेट राकेश त्रिपाठी, जो मुंबई में 25 पैसे कमीशन पर घर-घर दूध बेचते थे। राकेश त्रिपाठी ने अपने स्ट्रगल टाइम कुछ बातें शेयर की।
इंटरेस्टिंग है स्ट्रगल स्टोरी
– बीएसपी कैंडिडेट राकेश त्रिपाठी वाराणसी दक्षिणी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं।
– राकेश त्रिपाठी ने बताया, पिता गोपाल त्रिपाठी लेक्चरर थे।
– क्वीन्स कॉलेज से इंटर और ग्रेजुएशन अरुणाचल यूनिवर्सिटी से किया।
– 1994 में शादी हुई, उस समय केबल लगाने का काम करता था। 1997-98 में नुकसान होने के कारण इस काम को बंद कर दिया।
मां-बाप, भाई ने करनी चाही मदद, लेकिन मैं चला आया मुंबई
– मां-बाप और भाई ने 1998 में पैसे देकर बनारस में ही बिजनेस करने को कहा, लेकिन मेरी खुद्दारी थी कि मैंने पैसे नहीं लिया और मुंबई जाकर पैसे कमाने को सोचा।
– पिता ने कई बार पैसे देने की कोशिश की, लेकिन मैंने नही ली।
– 1998 में जिंदगी का संघर्ष शुरू हुआ तो पत्नी सीमा त्रिपाठी के सोने की चेन को 11 हजार रुपए में बेचकर पैसे कमाने के लिए मुंबई चला आया।
एक पैकेट दूध पहुंचाने पर मिलता था 25 पैसा कमीशन
– सुबह घर-घर दूध के पैकेट पहुंचाता था। एक पैकेट का 25 पैसे कमीशन मिलता था।
– दोपहर में यूरेका फोर्ब की मशीनों को बेचता, जिसका 125 रुपए प्रति मशीन कमीशन मिलता था।
– रात में शिर्डी तक ट्रैवल की गाड़ी चलाता था। 8 रुपए ट्रैवलिंग चार्ज मिलता था, जिसको बचाने के लिए पैदल चलता था।
– 25 से 30 किलोमीटर रोज पैदल चलता था, पैरों के छाले आज भी मुझे वो दिन याद दिलाते हैं।
रियल स्टेट कारोबारी ने दिलाया काम
– 8 महीने बाद मुझे मशीन बेचने के दौरान एक रियल स्टेट कारोबारी मिले, जिन्होंने मुझे इस बिजनेस में आने को कहा।
– शुरू में कमीशन बेस्ड एजेंट के रूप में काम करता रहा। बाद में धीरे-धीरे अपना बिजनेस खड़ा कर लिया।
– आज मेरे पास दो इंडीवर, एक ऑडी क्यू थ्री कार, मुंबई में दो फ्लैट और बनारस में खुद का मकान है।