बिलासपुर.तीन अदालतों में गुजारा भत्ता, केस दूसरे जिले में ट्रांसफर करने व विवाह पुनर्स्थापना का मुकदमा लड़ रहे पति-पत्नी दोबारा साथ रहने पर राजी हो गए। तीनों मुकदमे वापस लेते हुए उन्होंने 7 अक्टूबर से साथ रहना भी शुरू कर दिया था। चीफ जस्टिस ने दोनों को समझाइश देते हुए 10 साल के बच्चे के भविष्य पर विचार करने को कहा था। दोनों को समझाइश देने के लिए वकील को मध्यस्थ नियुक्त किया था।
– कवर्धा में रहने वाली महिला की शादी करीब 12 साल पहले बिलासपुर में रहने वाले व्यक्ति से हुई। दोनों का 10 साल एक बेटा है। आपसी विवाद के बाद करीब चार साल से पति-पत्नी अलग रह रहे थे।
– महिला अपने मायके चली गई, वहीं बेटा पिता के साथ बिलासपुर में ही रह रहा था। महिला ने कवर्धा के फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता की मांग को लेकर मामला प्रस्तुत किया।
– पति ने बिलासपुर फैमिली कोर्ट में विवाह पुनर्स्थापना की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया, इस सिलसिले में महिला को हर सुनवाई के दौरान बिलासपुर आना पड़ता था।
– उन्होंने हाईकोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन सिविल दायर कर बिलासपुर फैमिली कोर्ट में चल रहे मुकदमे को इस आधार पर कवर्धा फैमिली कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की।
– इस याचिका पर चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच में सुनवाई हुई। 2 सितंबर 2016 को सुनवाई के दौरान पक्षकारों की तरफ से 10 वर्ष का बच्चा होने की भी जानकारी दी गई।
– चीफ जस्टिस की बेंच ने पति-पत्नी को कहा कि वे बच्चे के भविष्य को देखते हुए दोबारा साथ जीवन जीने पर विचार करें।
– हाईकोर्ट ने दोनों को मध्यस्थता केंद्र भेजने का निर्णय लेते हुए अधिवक्ता योगेश चंद्र शर्मा को मध्यस्थ नियुक्त किया और दो माह में मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा।
– शर्मा ने दोनों को समझाइश देते हुए कहा बच्चे के बेहतर भविष्य के मां-पिता का साथ होना जरूरी होता है। समझाइश के बाद दोनों वैवाहिक जीवन फिर से साथ गुजारने पर राजी हो गए।
– दोनों ने आपसी समझौते से कवर्धा, बिलासपुर व हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे को वापस लेने का निर्णय लिया और दोनों 7 अक्टूबर से साथ रहने भी लगे हैं। अब इस मामले पर 4 नवंबर को सुनवाई होगी।