मध्य प्रदेश के भोपाल में हुए दर्दनाक हादसे को करीब 38 साल पूरे होने वाले हैं। जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी। जिन्हें अभी तक उनके इस हादसे में हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है। यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई और कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए, जो आज भी त्रासदी की इस मार को झेल रहे हैं।

विश्व में इतिहास की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड को अब 38 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन गैस पीड़ितों का कहना है कि उन्हें अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है और ना ही यूनियन कार्बाइड के मालिकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हुई है. गैस त्रासदी वाले दिन यानी 3 दिसंबर को गैसकांड के कारण हुए हादसे में मारे गए लोगों को समाजसेवी संगठन और अन्य गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन इस साल हजारों की संख्या में यह गैस पीड़ित दिल्ली जाएंगे और भारत सरकार के स्वास्थ्य और रसायन मंत्री मनसुख मंडविया से मुलाकात कर उनके सामने अपनी मांगें रखेंगे।
गैस पीड़ित संगठनों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट में सही तथ्यों के साथ मजबूती से उनका पक्ष रखा जाए. हर गैस पीड़ित को कम से कम 5 लाख रुपए का मुआवजा मिले. दिल्ली में केंद्रीय रसायन मंत्री को गैस पीड़ित अपनी कई मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपेंगे. 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. पीड़ितों के लिए काम करने वाले समाजसेवी संगठनों का आरोप है कि गैस पीड़ितों की मौतों का सही आंकड़ा पेश नहीं किया गया है. अस्पताल आईसीएमआर, आधिकारिक आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जाने चाहिए ताकि 38 साल बाद ही सही पर गैस पीड़ितों को उचित न्याय मिल सके।
गैस पीड़ितों के हितों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने बताया कि पीड़ितों की संख्या 5 लाख से ज्यादा है. अब तक पीड़ितों को सही मुआवजा नहीं मिला है. उनकी मांग है कि पीड़ितों को 5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. ऐसे गैस पीड़ित जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके परिजनों को मदद मिले. सही मुआवजे के साथ यह संदेश भी सरकार की ओर से जाना चाहिए कि कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी भारत आकर हमारे लोगों का शोषण नहीं कर सकती।