जौनपुर | शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की न नगर पालिका परिषद के पास न कोई कारगर योजना है और न ही लोगों को दूषित पानी से निजात मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है। दूषित पानी पीने से लगातार लोग बीमार हो रहे हैं और इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। जांच कराने पर प्रतिदिन दस से पंद्रह मरीजों में टायफाइड के मरीजों की पुष्टि हो रही है। पिछले लंबे समय से अधिकांश स्थानों पर क्लोरीनेशन नहीं करा रहा है, इसके चलते लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। क्षतिग्रस्त और लीकेज पाइपें तथा क्लोरीनेशन न होने से पानी में बैक्टीरिया व वायरस बढ़ रहे हैं। नतीजतन डायरिया, टायफाइड, पीलिया, लीवर व आंत में सूजन की बीमारी की गिरफ्त में लोग आ रहे हैं। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों में दूषित पानी के कारण बीमारी की चपेट में आने वालों की संख्या अधिक है। शहर में जो पानी उन्हें पीने को मिलना चाहिए, उसमें लगातार गिरावट आ रही है। माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स डोजर मशीन क्लोरीनेशन का काम करती है, लेकिन अधिकांश नलकूपों पर डोजर या तो खराब पड़ा है या लगा ही नहीं है। ऐसे में पानी में क्लोरीन की जो मात्रा शहरियों को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है। नतीजतन पानी में बैक्टीरिया व वायरस बढ़ रहे है। गर्मी के मौसम में क्लोरीन का प्रतिशत शून्य होने से डायरिया, टायफाइड, पीलिया, लीवर, आंत में सूजन आदि की शिकायत बढ़ जाती है। निजी क्लीनिक से अस्पताल तक में भी ऐसे मरीजों की तादाद अच्छी खासी देखने को मिल रही है। चिकित्सक कहते हैं कि दूषित पानी पीने से एक नहीं कई तरह की संक्रामक बीमारी होती है। खासतौर से गर्मी में डायरिया, टायफाइड, पेचिश और पीलिया होने का खतरा अधिक होता है। अगर आरओ की सुविधा नहीं है तो पानी उबाल कर ठंडा कर उसे पियें।
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