किसानों का कहना है कि भारत में भिखारी होना, किसान होने से कहीं बेहतर

नई दिल्ली, 20 जुलाई ।    तमिलनाडु की सरकार ने ऐसा फैसला किया है, जिसे सुनकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करन रहे प्रदेश के किसानों ने चप्पलों से अपना सिर पीटना शुरू कर दिया। इन किसानों का कहना है कि भारत में भिखारी होना, किसान होने से कहीं बेहतर है। दरअसल, तमिलनाडु में एक तरफ किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। वे कर्जमाफी समेत अपनी कई अन्य मांगों के लिए चेन्नई से लेकर दिल्ली तक की सड़कों पर प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। उधर दूसरी तरफ तमिलनाडु के विधायकों ने अपनी तन्ख्वाह में 100 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब तमिलनाडु के विधायकों को हर महीने 1 लाख 5 हजार रुपये सैलरी मिलेगी, जो पहले सिर्फ 50 हजार रुपये के आसपास थी। बता दें कि सैलरी के अलावा विधायकों ने पेंशन की राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। अब पूर्व विधायकों की पेंशन राशि 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दी गई है। इसके अलावा विधायकों ने लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड में भी इजाफा किया है। अब विधायक क्षेत्रीय विकास फंड 2 करोड़ से बढ़ाकर 2.6 करोड़ रुपये कर दिया गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने बुधवार को विधानसभा में इस फैसले की घोषणा की। जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों के लीडर अयाकुन्नू ने कहा कि प्रदेश के विधायकों की सैलरी बढ़ाने के फैसले से हमे बहुत दुख पहुंचा। इसलिए हम चप्पल सिर पर मारकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब ऐसा लगता है कि भारत में भिखारी होना, किसान होने से बहुत अच्छा है।

 

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