न्यूयॉर्क ,28 जुलाई । यह कहना गलत नहीं होगा कि अंतरिक्ष में तेजी से बढ़ता एयरोस्पेस का कचरा पृथ्वी पर भारी तबाही का कारण बन सकता है। अब तक करीब 4,256 मानव जनित उपग्रह पृथ्वी से अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं, जिनमें से केवल 1,149 उपग्रह ही काम कर रहे हैं। बाकि निष्क्रिय या अपना मिशन पूरा कर चुके उपग्रहों का कचरा अंतरिक्ष में ही पड़ा है। अंतरिक्ष शोधकर्ताओं की भाषा में इसे ‘स्पेस जंकÓकहते हैं।दरअसल अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रह और स्पेस स्टेशन आकार में पृथ्वी से बेहद छोटे हैं। इन उपग्रहों का साइज 4 इंच से लेकर 100 फुट तक है। वहीं, बड़े उपग्रह आपस में टकराकर कई हिस्सों में बंट जाते हैं, जिससे उनका आकार और भी ज्यादा छोटा हो जाता है। यहां तक कि हमारे स्पेस स्टेशन भी पृथ्वी की तुलना में बेहद छोटे हैं। इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (आईएसएस) इंसान द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन है। 357 फीट लंबाई होने के बावजूद यह स्पेस स्टेशन डिस्कवर सैटेलाइट के ‘एपिकÓ कैमरे में अपनी प्रस्तुति दर्ज नहीं करा पाता। जबकि यह हाई-रेजोल्यूशन कैमरा लाखों मील की दूरी से पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम है। पृथ्वी की कक्षा में स्पेस जंक के करीब 10 करोड़ टुकड़े हैं, जो बेकार हो चुके हैं। यह मलबा धरती के चारों ओर चक्कर काट रहा है। इनमें पुराने उपग्रहों के उपकरण और रॉकेटों के टुकड़े हैं। यह इतने सूक्ष्म हैं कि अत्याधुनिक कैमरों या दूरबीनों की रडार में आने के बाद भी नहीं दिखाई देते।वैज्ञानिकों का कहना है कि आईएसएस जैसे विशालकाय स्पेस सेंटर और नासा के टेरा एंड एक्वा जैसे बड़े उपग्रहों को ‘मॉर्डरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटरÓ यंत्र के माध्यम से देखा जा सकता है। लेकिन यह तभी मुमकिन है, जब यह दोनों एक ही स्थान पर मौजूद हों। जबकि ऐसा बहुत कम बार देखने को मिलता है क्योंकि उपग्रह बनाते वक्त वैज्ञानिकों को इसके डिजाइन का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, ताकि अंतरिक्ष में जाकर उनका उपग्रह किसी दूसरे उपग्रह से न टकराए। उपग्रहों के टकराने से बना मलबा 40,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा है। इतनी ज्यादा गति होने की वजह से यह कचरा हाई रेजोल्यूशन कैमरों के फ्रेम में नहीं आ पाता। इतनी रफ्तार से चक्कर काटने वाला मूंगफली के दाने के समान स्पेस जंक टकराने पर ग्रेनेड जैसा धमाका हो सकता है, जो काफी विनाशकारी होगा।
अंतरिक्ष का कचरा पृथ्वी में पलने वाले जीवन के लिए भी खतरा है। अगर कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में दाखिल होते समय पूरी तरह नहीं जला तो काफी तबाही मचा सकता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों के कई समूह इस पर काम कर रहे हैं ताकि अंतरिक्ष को साफ-सुथरा बनाया जा सके।
गारबेज रोबोट
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसई) अंतरिक्ष में मौजूद कूड़े को साफ करने के लिए एक गारबेज रोबोट तैयार कर रही है। इस रोबोट में एक आर्टिफिशियल हाथ लगा है, जिसकी मदद से यह रोबोट स्पेस जंक को पकड़कर धरती पर लाएगा। ईएसई इस खास रोबोट को 2023 तक लॉन्च कर सकती है।
लेजर शॉट
जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर स्पेस जंक को अंतरिक्ष में ही जलाने का विचार बना रही है। डीएलआर के वैज्ञानिक इसके लिए एक लेजर तकनीक को विकसित कर रहे हैं ताकि लेजर शॉट से मलबे को वहीं जलाकर राख किया जा सके।
इलेक्ट्रो जाल
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक इलेक्ट्रो जाल पर काम कर रही है। यह जाल एक बड़े इलाके में मौजूद कचरे को बांधेगा और फिर से धरती के वायुमंडल में लाएगा। पृथ्वी के वायुमंडल से दाखिल होते समय ज्यादातर कचरा खुद जल जाएगा। हालांकि जापानी वैज्ञानिकों की ऐसी ही एक कोशिश पहले ही नाकमयाब हो चुकी है।