इस्लामाबाद ,28 जुलाई । पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आज दोषी करार हुए। शरीफ पर लंदन में संपत्ति बनाने और और काला धन जमा करने का आरोप है। नवाज शरीफ के दामाद और बेटी भी इस मामले में दोषी पाए गए हैं। इसके साथ ही नवाज की मुश्किलें बढ़ गईं हैं उन्हें पीएम का पद छोडऩा पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने शरीफ पर ये फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आई.सी.आई.जे.) नाम के एन.जी.ओ. ने पनामा पेपर्स के नाम से यह बड़ा ख़ुलासा किया था। पनामा (उत्तरी व दक्षिणी अमरीका को भूमार्ग से जोडऩे वाला देश) की एक कानूनी फर्म ‘मोसेक फोंसेकाÓ के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद यह खुलासा किया गया था। पत्रकारों के इस समूह ने करीब 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेजों का खुलासा किया था। इसमें 100 मीडिया ग्रुप्स के पत्रकारों को दिखाए गए दस्तावेज शामिल हैं।70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इन दस्तावेजों की जांच की थी और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई थी।पनामा केस में टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर माहौल में विदेशी व्यक्तियों, निवेशकों या कारोबारियों को न के बराबर की टैक्स लायबिलिटी प्रदान करता है। इन मुल्कों में कमाई पर किसी तरह का को टैक्स नहीं लगता। टैक्स संबंधी इन्हीं लाभों को उठाने के लिए अमीर लोग इन मुल्कों में इन्वेस्टमेंट करते हैं। इतना ही नहीं इन मुल्कों में कारोबार या इन्वेस्टमेंट के लिए वहां के नागरिक होने या रहने की भी कोई जरूरी शर्त नहीं होती।कागजात बताते हैं कि किस तरह से पैसे वाले लोग ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं हो। यानी ‘टैक्स चोरी का स्वर्ग। इस पूरे मामले में देश और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों का नाम शामिल था। इसी मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी करार देते हुए प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।
पनामा पेपर लीक मामले में संयुक्त जांच दल की रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर इस्तीफे का दबाव बढऩे लगा था। पनामा पेपर लीक में नवाज शरीफ और उनके परिवार का नाम सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संयुक्त जांच दल (जेआईटी) गठित किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में शरीफ पर भ्रष्टाचार से जुड़े कई संगीन आरोप लगाए हैं। उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) जेआईटी की रिपोर्ट अस्वीकार कर चुकी है।
सूत्र बता रहे हैं कि नए पीएम के लिए बैठक बुलाई गई है। अब उनकी कुर्सी पर उनके भाई शहवाज शरीफ को बैठाया जा सकता है। द डॉन समाचारपत्र ने संपादकीय के जरिये नवाज शरीफ को अस्थायी तौर पर ही सही लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी छोडऩे को कहा है। अखबार ने लिखा, जेआईटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट पूरी तरह सही दस्तावेज नहीं है, लेकिन इसमें प्रधानमंत्री और उनके बच्चों पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में नवाज को लोकतंत्र में उचित कदम उठाते हुए पद छोड़ देना चाहिए।
सामान्य तौर पर कोई भी लोकतांत्रिक व्यवस्था संदेह के काले बादलों में घिरे प्रधानमंत्री के साथ सही तरीके से काम नहीं कर सकता है। सत्तारूढ़ पीएमएल (एन) उनसे पद पर बने रहने की बात कह सकती है और शरीफ ऐसा कर भी सकते हैं, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों को इससे भी बड़ा होना चाहिए। प्रधानमंत्री के पास स्पष्ट विकल्प है- वह पद छोड़ें और अपने एवं बच्चों के ऊपर लगे आरोपों को कोर्ट में चुनौती दें। बेदाग होने की स्थिति में वह दोबारा प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
शरीफ के परिवार के विदेश में संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच के लिए संयुक्त जांच दल का गठन किया गया था और जेआईटी ने 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी। रिपोर्ट में उनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसी खबरें आ रही थी कि अगर पनामा मामले में शरीफ दोषी पाए जाते हैं तो उनके भाई शहबाज शरीफ पीएम बनेंगे।
शहबाज पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेम्बली के सदस्य नहीं हैं, जिसके चलते वह फौरन उनका स्थान नहीं ले सकते और उन्हें चुनाव लडऩा होगा। पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शहबाज के उपचुनाव में चुने जाने तक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के 45 दिनों तक अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने की संभावना है। यह निर्णय सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया।