नई दिल्ली। दिल्ली के परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि राजधानी में एक करोड़ गाड़ियां हैं। 50 लाख गाड़ियों को सड़क से तुरंत दूर करने के लिए कम से कम सरकार को सात दिन का समय चाहिए। इतनी तैयारी में ऑड- इवन व्यवस्था लागू कर सकती है।
उन्होंने कहा कि ऑड- इवेन व्यवस्था को लागू करने से पहले जनता को जागरूक करना होगा और सभी विभागों में आपसी तालमेल स्थापित करना पड़ेगा। परिवहन मंत्री ने कहा कि सरकार राजधानी के लोगों की सेहत को लेकर सजग है। ऑड-इवन लागू करने से पहले सर्वोच्च न्यायालय ने कई स्तर तय किए हैं।
जब प्रदूषण इन स्तरों तक पहुंचेगा सरकार ऑड-इवेन लागू कर देगी। जैन ऑड- इवन पर सवाल पूछे जाने पर दिल्ली विधानसभा में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।
गोपाल राय ने दिए जांच के आदेश
विकास मंत्री गोपाल राय ने सड़कों व नालियों के निर्माण में गड़बड़ी किए जाने की शिकायत पर जांच के आदेश दिए हैं। ग्रेटर कैलाश इलाके में सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा सड़कों का निर्माण कराया गया है। इलाके के विधायक सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि सड़कों के साथ नालियों का निर्माण नहीं कराया गया।
प्रश्नकाल के लिए कम समय देने का आरोप
प्रश्न काल के लिए एक घंटे से कम कर 20 मिनट दिए जाने का आरोप लगाया गया है। विपक्ष के साथ साथ सत्ता पक्ष के असंतुष्ट विधायक पंकज पुष्कर ने साफ कहा है कि सरकार को विधायक न घेर सकें, इसलिए ऐसा किया गया है, जो सरासर गलत है।
आप के तिमारपुर से विधायक पंकज पुष्कर ने सरकारी स्कूलों को लेकर पांच सवाल पूछे थे। जिनके जवाब सरकार की ओर से दिए गए। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी प्रश्नकाल के लिए समय कम देने का आरोप लगाया है।
उधर, विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने इसका खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि आरोप गलत हैं। प्रश्नकाल के लिए 2 से 3 बजे का समय निर्धारित है। विपक्ष हो हल्ला करेगा तो प्रश्नकाल के लिए समय कैसे बचेगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर है और इसका हल तत्काल निकालने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि नियमों के क्रियान्वयन न होने और तंत्र के प्रभावी न होने के कारण बहुत से लोग वायु प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने प्रदूषण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
अगर आप इसका समाधान निकालने में कई वर्ष लगाएंगे तो यह एक समस्या होगी। न्यायमित्र हरीश साल्वे ने अदालत को सूचित किया था कि प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट (पीयूसी) को हर साल वाहनों के बीमा से जोड़कर 100 फीसद पालन सुनिश्चित करने की जरूरत है। इसके बाद ही पीठ ने यह टिप्पणी की।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार को दिल्ली में पीयूसी केंद्रों की संख्या बताने को भी कहा। कुमार ने बताया कि दिल्ली में ऐसे 962 केंद्र हैं और इनमें से प्रत्येक हर महीने 5000 वाहनों की जांच करता है। उन्होंने कहा कि इनमें से 174 केंद्रों को अनियमितता बरतने पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं।