आज होगी राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग

नई दिल्ली ,16 जुलाई । भारत के राष्ट्रपति पद के लिए आज 17 जुलाई को मतदान होगा। राष्ट्रपति पद के लिए राजग के रामनाथ कोविंद और यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार के बीच सीधा मुकागला है,जिनमें  हालांकि मतों के आंकड़ों के गणित में मीरा के मुकाबले कोविंद का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
च्ुनाव आयोग के अनुसार देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद 14वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए 17 जुलाई को संसद भवन और 31 राज्यों के विधानसभा परिसरों के मतदान केंद्रों पर वोटिंग कराई जाएगी। रामनाथ कोविंद को सत्तारूढ़ राजग के साथ-साथ जनता दल यू, बीजू जनता दल(बीजद), अन्नाद्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित कई छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है, वहीं मीरा कुमार के पक्ष में कांग्रेस सहित 17 दल हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का प्रयास है कि उनके उम्मीदवार कोविंद को ज्यादा से ज्यादा वोट मिले। राष्ट्रपति चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम रहती है। दरअसल भारत में राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चयन का जिम्मा इलेक्टोरल कॉलेज पर होता है। इलेक्टोरल कॉलेज में निर्वाचित सांसदों के अलावा राज्यों और अपनी विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के विधायक शामिल होते हैं। मुख्य चुनाव आयोग के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव सिक्रेट बैलेट पेपर के जरिए होंगे और वोटिंग के लिए चुनाव आयोग बैलेट पर टिक करने के लिए एक विशेष पेन का प्रबन्ध किया गया है। किसी अन्य पेन का उपयोग करने पर वोट अवैध हो जाएगा। संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय है। इस चुनाव में निर्वाचित सांसद या विधायक को ही मत देने का अधिकार होगा यानि मनोनीत सदस्य वोटिंग नहीं कर सकेंगे। भारत के राष्ट्रपति निर्वाचन में संसद के निर्वाचित सदस्यों के अलावा दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के साथ ही सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मतदान करेंगे।
ऐसे होता है राष्ट्रपति चुनाव
भारत के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान के जरिए किया जाता है। इसमें जनता की जगह जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज करता है। इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। भारत में राष्ट्रपति चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान से होता है। इसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इसमें राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य मतदान में हिस्सा नहीं लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव जिस विधि से होता है उसे ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणालीÓ के रुप में जाना जाता है जिसके आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा चुनाव होता है। राष्ट्रपति चुनाव की वर्तमान व्यवस्था 1974 से चली आ रही है और ये 2026 तक लागू रहेगी। इसमें 1971 की जनसंख्या को आधार माना गया है।
सांसदों और विधायकों की वोटों का मूल्य
राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जाने वाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली की विधि के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है। सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है मगर विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है। 1971 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या को वहां की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाए, परिणाम में जो भी संख्या आए, उसे फिर से 1000 से भाग दिया जाए। इसके बाद जो परिणाम निकलेगा, वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होगा।
क्या है आंकड़ों का गणित
राजग उम्मीदवार कोविंद का राष्ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है। मसलन राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल मतों की संख्या 10,98,903 है और इनमें से बहुमत के लिए 5,49,452 मतों की जरूरत है। कुल मतों में 48.6 फीसदी हिस्सा राजग के घटक दलों का है। यदि कोविंद के नाम पर हां करने के बावजूद राजग की सहयोगी शिवसेना के वोटों का भी छोड़ दिया जाए तो जदयू, बीजद, टीआरएस, अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के साथ फिलहाल राजग उम्मीदवार कोविंद की झोली में बहुमत से भी कहीं ज्यादा 6,82,722 वोट माने जा सकते हैं। मसलन बीजू जनता दल के 36,549, टीआरएस के 23,232, वाईएसआर कांग्रेस के 17,574 के अलावा और जदयू के 20,935, अन्नाद्रमुक के 59,224 वोट भी राजग के पक्ष में हैं।

 

 

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