लखनऊ। राजधानी में कैसरबाग स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पर सोमवार को सिक्ख संगठन उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने किसानों के फसली ऋण माफी को लेकर बड़ी प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में किसानों के साथ जुटे राजधानी के सरदारों ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर नारेबाजी करते हुए ज्ञापन सौंपा। संगठन के अध्यक्ष जसवीर सिंह विर्क ने कहा कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में किसान आंदोलन कर रहे हैं और अब तक 6 किसान पुलिस की गोलियों के शिकार बन चुके हैं। किसानों पर फसली ऋण पहाड़ की तरह लदा हुआ है और वे मजबूर हो कर पूरे देश में प्रदर्शन करने को बाध्य हो गए हैं। किसान आंदोलन को समर्थन देने की बात करते हुए सरदार त्रिलोचन सिंह जज ने कहा कि भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किसानों के ऋण माफी की घोषणा की थी लेकिन सरकार बनने के चार महीने बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। गन्ना भुगतान पर योगी सरकार को घेरते हुए जज ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान है जो यूपी के कर्णधार है परंतु मुख्यमंत्री जी को उन्ही की याद नहीं आ रही है।
केन्द्र तथा प्रदेश सरकार से सिक्ख संगठन की प्रमुख मांगे बतातें हुए सचिव वीर सिंह ने कहा कि सभी किसानों का फसली ऋण माफ किया जाए, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, साढ़े सात हार्सपावर के कनैक्शन की बाध्यता समाप्त की जाए, 18 घंटे बिजली, प्रति यूनिट बिजली बिल, स्वैच्छिक बीमा योजना, आग से क्षतिपूर्ति, गेंहू की तरह दलहन तिलहन को बीमा की परिधि में लाया जाए। उन्होंने कहा कि सिक्ख समाज के जाट, कम्बोज, सैनी, लबाणा, रामगढ़िया, कहार, नाई, लोहार, मजहबी, सांसी, बौरीया, शिकली गढ़ आदि पिछड़ों को अनुसूचित जनजाति में दर्ज करते हुए तहसीलों और जिला मुख्यालयों में अंकित किया जाए। सिक्ख समाज को जमीनों के भौतिक सत्यापन हेतु धारा 189 के तहत स्वयं उपस्थित होना अनिवार्य न हो, चकबन्दी की अवधि निर्धारित की जाए, स्वामी नाथन आयोग की संस्तुतियों को लागू करना और मण्डियों में खुली बोली शुरू की जाए।
उर्दू की तरह पंजाबी को राजकीय भाषा में शामिल करने की बात करते हुए उपाध्यक्ष परमजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में पंजाबी समुदाय के लोग बहुतायत में हैं इसलिए राजकीय शिक्षा में उर्दू की तरह पंजाबी भाषा को भी लागू किया जाए।
मांगो के समर्थन में नारेबाजी करते हुए सिक्ख संगठन ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।